6 महीने में ट्रायल पूरा करने के निर्देश
जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की पीठ ने ट्रायल पर लगी रोक को हटाते हुए 6 महीने में मामले का ट्रायल पूरा करने के निर्देश भी जारी किए हैं।
सोमवार को जस्टिस शाह ने ये फैसला सुनाते हुए यह कहा कि ये अपराध "नैतिक रूप से घिनौना" और पीड़िता की "निजता पर हमला" है। उन्होंने कहा कि आरोप गंभीर श्रेणी के हैं और पहले ही ट्रायल में काफी देरी हो चुकी है। तेजपाल फिलहाल जमानत पर हैं।
तेजपाल पर आरोप हैं बेहद गंभीर
इससे पहले 6 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए तेजपाल पर कई सवाल भी उठाए थे और कहा था कि जिस तरह के आरोप लगे हैं, उन्हें देखने के बाद धरती पर कोई भी उन्हें आरोपमुक्त नहीं कर सकता।
"अभियोजन पक्ष के बयान पर अविश्वास करने का कारण मौजूद नहीं"
पीठ ने टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि अभियोजन पक्ष के उन बयानों पर सिर्फ इसलिए अविश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिखता कि पीड़िता लिफ्ट से बाहर निकलकर भागी थी जैसा कि उसके बयान में दावा किया गया है। पीठ ने ये भी कहा कि शिकायत दर्ज होने से पहले तेजपाल ने पीड़िता से माफी भी मांगी थी। उस पर अविश्वास क्यों किया जाना चाहिए। यदि आरोप सही हैं तो यह गंभीर है क्योंकि आप इस क्षमता में थे।
तेजपाल की ओर से दी गयी आरोपमुक्त किये जाने की दलील
वहीं तेजपाल की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने यह दावा किया था कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं और इसका कोई सबूत नहीं है। यहां तक कि सीसीटीवी फुटेज में भी ये नहीं दिखता कि पीड़िता घटना के बाद लिफ्ट से निकलकर भागी थी जबकि पीड़िता ने पुलिस को ये ही बयान दिए थे। ऐसे में तेजपाल के खिलाफ आरोपों को रद्द कर आरोपमुक्त किया जाना चाहिए। जबकि गोवा पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि पुलिस के पास सारे सबूत मौजूद हैं।
तेजपाल ने दी है बॉम्बे HC के फैसले को चुनौती
दरअसल तरूण तेजपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ रेप के आरोपों को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। याचिका में तेजपाल ने यह कहा है कि पीड़िता के बयानों और वीडियो रिकार्डिंग में विरोधाभास हैं। सुनवाई में कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य दस्तावेजो को भी देखा था।
इससे पहले 6 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत को मामले में ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए थे। बेंच ने मापसा कोर्ट को मामले के करीब 150 गवाहों के बयान दर्ज करने के भी आदेश दिए थे। लेकिन तेजपाल की अर्जी पर वर्ष 2018 में ट्रायल पर रोक लगा दी गई।
HC ने मापसा कोर्ट को दिए थे तेजपाल पर आरोप तय करने के आदेश
गौरतलब है कि गोवा की अदालत ने 29 सितंबर 2017 को पूर्व महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न और रेप के आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ आरोप तय किए थे। अदालत ने तेजपाल के खिलाफ IPC की धारा 341 (दोषपूर्ण अवरोध), 342 (दोषपूर्ण परिरोध), 354 ए और बी (महिला पर यौन प्रवृत्ति की टिप्पणियां और उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करना) तथा 376 (रेप) के k और f सब सेक्शन के तहत आरोप तय किए हैं। वहीं तरूण तेजपाल ने अपना अपराध स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। 16 जून 2017 को हुई सुनवाई से पहले कोर्ट ने पूरे मामले की कोर्ट प्रक्रिया के मीडिया में छपने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने 327(3) के तहत मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाई थी।
दरअसल तेजपाल की एक जूनियर सहयोगी ने उन पर वर्ष 2013 में एक कार्यक्रम के दौरान गोवा के एक पांच सितारा होटल की एक लिफ्ट के अंदर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।