सुप्रीम कोर्ट ने COVID योग प्रोटोकॉल विकसित करने और प्रसारित करने की याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

23 July 2020 11:27 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने COVID योग प्रोटोकॉल विकसित करने और प्रसारित करने की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मधुमेह, बुखार, संक्रमण और हृदय, श्वसन और पाचन रोगों जैसी अधिकांश सामान्य बीमारियों को नियंत्रित करने के अलावा, लोगों में COVID प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए मानक योग प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय को निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने यहां उस याचिका पर सुनवाई से इनकार किया तो याचिकाकर्ता के इशारे पर वापस ले ली गई थी।

    भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से " COVID योग प्रोटोकॉल" के साथ-साथ अन्य अनुकूलित योग प्रोटोकॉल को प्रसारित करने, आम जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए दिशा-निर्देश भी मांगे गए थे।

    नियमित योग करने के विभिन्न शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए याचिकाकर्ता ने वकील अश्वनी दुबे के माध्यम से कहा,

    " अनुच्छेद 21 अनुच्छेद 39, 41, 46, 47 और 51A के साथ पढ़ने पर नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार लाने और इस संबंध में सूचना निर्देश प्रशिक्षण पर्यवेक्षण प्रदान करने के लिए राज्य पर दायित्व देता है। राज्य को सभी नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए और अच्छे स्वास्थ्य के लिए परिस्थितियों का सृजन सुनिश्चित करना चाहिए व उनको बनाए रखना चाहिए। "

    इस पृष्ठभूमि में, सरकार को स्वास्थ्य-खतरों, स्वास्थ्य-स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में लोगों को पूरी तरह से जागरूक करने के लिए योग विज्ञान को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए एक 'राष्ट्रीय योग नीति' तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिकाकर्ता ने उन परिस्थितियों के निर्माण पर भी जोर दिया है जो बच्चों को जन्म से ही अच्छा स्वास्थ्य दे।

    आखिरी में , उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से I-VIII के छात्रों के लिए 'पर्यावरण, स्वास्थ्य और योग विज्ञान' पर मानक पाठ्यपुस्तकें विकसित करने और पूरे देश में इसके अध्ययन को अनिवार्य बनाने के लिए एक दिशा-निर्देश मांगा।

    " MHRD की अधिसूचना दिनांक 31.05.2010 ने अधिसूचित किया था कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 आरटीई 2009 की धारा 7 (6) के तहत राष्ट्रीय पाठ्यक्रम होगी।

    दलीलों में कहा गया है कि

    " NCF 2005 विशेष रूप से कहता है कि योग प्राथमिक शिक्षा का एक मुख्य और अनिवार्य विषय है। इसे अन्य विषयों के साथ समान दर्जा दिया जाना चाहिए और अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। यह बताना आवश्यक है कि NCERT प्राथमिक और कनिष्ठ वर्गों के लिए सभी विषयों का पाठ्यक्रम विकसित करता है, इसलिए इसे कक्षा I-VIII के छात्रों के लिए, 'पर्यावरण, स्वास्थ्य और योग विज्ञान' पर मानक पाठ्यपुस्तकों का विकास करना चाहिए।"

    इस राहत की व्यवहार्यता को उजागर करते हुए बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि प्राथमिक कक्षाओं में योग सिखाने के लिए समर्पित योग शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है और यह 'प्रोजेक्टर या स्मार्ट बोर्ड' के माध्यम से और यहां तक ​​कि मौजूदा शिक्षकों द्वारा उन्हें योग प्रशिक्षण प्रदान करके किया जा सकता है।

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