फडणवीस को झटका : चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने पर ट्रायल चलता रहेगा : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

3 March 2020 9:19 AM GMT

  • फडणवीस को झटका : चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने पर ट्रायल चलता रहेगा : सुप्रीम कोर्ट

    महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है , जिसमें चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने पर नागपुर की अदालत में ट्रायल को बहाल कर दिया था।

    जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन जजों वाली बेंच ने सोमवार को जारी अपने आदेश में कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं के लिए कोई आधार नहीं मिला है, इसलिए इन्हें खारिज किया जाता है।

    18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा सुप्रीम कोर्ट के अक्तूबर के फैसले के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। फडणवीस के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रखा गया था।

    रोहतगी द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 33 ए (1) के अनुसार, किसी आपराधिक मामले के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता नहीं है जब तक कि ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय नहीं गया हो।

    वरिष्ठ वकील ने कहा था कि न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के कारण आपराधिक मामले का खुलासा करने की जरूरत नहीं है।

    उन्होंने पूछा था कि अगर कल संज्ञान लिया गया और मैं कल अपना चुनावी हलफनामा दाखिल करूं तो क्या होगा? हालांकि रोहतगी ने मुख्य फैसले पर रोक के लिए दबाव डाला,लेकिन पीठ ने इनकार कर दिया था।

    रोहतगी ने कहा था कि यह एक सवाल है जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 तक फैला हुआ है।

    दरअसल 23 जनवरी को पीठ ने फडणवीस के आवेदन को खुली अदालत में समीक्षा याचिका की मौखिक सुनवाई की अनुमति दी थी।

    1 अक्तूबर 2019 को चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने के आरोपों वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए फडणवीस पर ट्रायल चलाने का आदेश दिया था।

    हालांकि इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि याचिका में तथ्यों की कमी है। उके ने हाईकोर्ट में नागपुर के ज्यूडि़शियल मजिस्ट्रेट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें ऐसी ही याचिका को खारिज कर दिया गया था।

    याचिकाकर्ता उके ने आरोप लगाया कि 2009 और 2014 में नागपुर के दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरते समय फडणवीस ने उनके खिलाफ लंबित दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई थी। यह जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 125-ए का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता के मुताबिक 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ विभिन्न आरोपों में दो मामले दर्ज किए गए थे।

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