सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के सरकारी वकीलों को एडवोकेट सुमीर सोढी द्वारा पेश 'कनवेनिएन्स नोट' को 'स्टैंडर्ड फॉर्मेट' के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
11 Dec 2020 4:54 AM GMT
![सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के सरकारी वकीलों को एडवोकेट सुमीर सोढी द्वारा पेश कनवेनिएन्स नोट को स्टैंडर्ड फॉर्मेट के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्देश दिया सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के सरकारी वकीलों को एडवोकेट सुमीर सोढी द्वारा पेश कनवेनिएन्स नोट को स्टैंडर्ड फॉर्मेट के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्देश दिया](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2020/12/11/750x450_385769-816wrxqxf2wtcxow4rfxiwat4snhjawis172500137.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के सरकारी वकीलों को निर्देश दिया है कि वे राज्यों की ओर से मामले की पैरवी करते वक्त एडवोकेट सुमीर सोढी द्वारा पेश 'कनवेनिएन्स नोट' को 'स्टैंडर्ड फॉर्मेट' के तौर पर इस्तेमाल करें।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक आदेश जारी करने के दौरान सरकारी वकील सुमीर सोढी की ओर से 'कनवेनिएन्स नोट्स' पेश किये जाने की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए टिप्पणी की कि यह एक उदाहरण है कि राज्य सरकार की ओर से केस को कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है।
एडवोकेट सुमीर सोढी हत्या के एक मामले में दायर आपराधिक अपील में छत्तीसगढ सरकार की पैरवी कर रहे थे।
कोर्ट ने अपने फैसले में एडवोकेट सुमीर सोढी द्वारा पेश 'कनवेनिएन्स नोट' को विशेष तौर पर दोबारा प्रस्तुत किया (देखें पृष्ठ 3 - 5), जिसमें उन्होंने (श्री सोढी ने) FIR, अभियुक्त व्यक्तियों, मुकदमे का इतिहास और राज्य की ओर से रखी गयी कानूनी दलील को संक्षिप्त परन्तु सारगर्भित तरीके से रखा है।
हालांकि बेंच ने, जिसमें न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट भी शामिल हैं, अभियुक्तों की ओर से दायर अपील मंजूर कर ली, लेकिन यह भी कहा, "हमें इस बात का जिक्र जरूर करना चाहिए कि श्री सुमीर सोढी की ओर से प्रस्तुत 'नोट्स' इस बात की मिसाल है कि सरकार की ओर से कैसे मुकदमे को प्रस्तुत किया जाये। हम यह सलाह देते हैं कि संबंधित नोट को विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से इस कोर्ट में पेश होने वाले वकीलों को स्टैंडर्ड फॉर्मेट के तौर पर स्वीकार करना चाहिए।"
कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देशित भी किया कि वह इस आदेश की प्रतियां विभिन्न राज्यों के सरकारी वकीलों को सर्कुलेट करे।
इस मुकदमे में अपीलकर्ताओं की दलील थी कि उनका मामला भी अन्य चार अभियुक्तों जैसा ही है, जिनकी अपील को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व के फैसले में स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि मौजूदा अपीलकर्ताओं के खिलाफ आरोप इसी मामले के उन चार अपीलकर्ताओं से कतई अलग नहीं हैं, जिन्हें बरी किया गया था।
केस का नाम: कौशल वर्मा बनाम छत्तीसगढ़ सरकार
[क्रिमिनल अपील नंबर 843 / 2020]
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