SC ने उत्सव बैंस को उस दावे पर हलफनामा दाखिल करने को कहा जिसमें कहा गया कि CJI को फंसाने के लिए बर्खास्त कर्मियों ने रची साजिश

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24 April 2019 2:48 PM GMT

  • SC ने उत्सव बैंस को उस दावे पर हलफनामा दाखिल करने को कहा जिसमें कहा गया कि CJI को फंसाने के लिए बर्खास्त कर्मियों ने रची साजिश

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वकील उत्सव बैंस को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए कहा है ताकि उनके उस आरोप को प्रमाणित किया जा सके कि सुप्रीम कोर्ट के 3 असंतुष्ट कर्मचारियों ने कॉरपोरेट लॉबी के साथ साजिश रचकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए।

    सीबीआई, दिल्ली पुलिस और आईबी प्रमुख तलब

    जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर. एफ. नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने CJI के खिलाफ साजिश रचने के मामले में सीबीआई, दिल्ली पुलिस और आईबी के प्रमुखों को 12.30 बजे अपने चैंबर में तलब किया।

    वकील उत्सव बैंस रहे अदालत में मौजूद
    वकील उत्सव बैंस, जिन्होंने यह दावा किया था कि CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर CJI को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने की साजिश का हिस्सा कॉरपोरेट हस्ती और फिक्सर थे, सुबह कोर्ट में स्वयं मौजूद थे। बैंस ने सीलबंद कवर में कोर्ट को सामग्री सौंप दी। उन्होंने कहा कि सामग्रियों में एक सीसीटीवी फुटेज भी है जो "कई चीजों" को उजागर करेगा।

    बैंस और पीठ के बीच, AG की मौजूदगी में नाटकीय आदान प्रदान
    उसके बाद पीठ ने अटॉर्नी जनरल की मौजूदगी में बैंस के साथ आगे बातचीत करने के लिए 3 बजे फिर से एक सुनवाई की। इस दौरान बैंस और पीठ के बीच कुछ नाटकीय आदान-प्रदान हुए, विशेष रूप से जस्टिस नरीमन के साथ।

    AG ने किया बैंस के फेसबुक पोस्ट का जिक्र
    अटॉर्नी जनरल ने कहा, "हम केवल इस बारे में चिंतित हैं कि कोई व्यक्ति इस प्रकृति का हलफनामा तो दायर कर रहा है, लेकिन कोई सबूत नहीं दे रहा है। मैं वास्तव में यह नहीं समझ सकता कि कोई व्यक्ति कुछ आरोप कैसे लगा सकता है और बाकी पर विशेषाधिकार प्राप्ति का दावा करता है।"

    सुबह के सत्र में AG ने कहा कि बैंस का हलफनामा, उनके द्वारा इस मुद्दे पर किए गए फेसबुक पोस्ट से अलग है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में यह आरोप लगाया था कि कुछ "असंतुष्ट न्यायाधीश लॉबी" भी CJI के खिलाफ इस साजिश का हिस्सा थी। हालांकि, हलफनामे में, इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं है।

    AG के सबमिशन पर बैंस हुए तल्ख
    सुबह AG द्वारा इस प्रस्तुतिकरण ने बैंस को उकसाया और उन्होंने कहा कि AG द्वारा लगाए गए "सस्ते आरोपों" से वो निराश हैं।

    वहीं दोपहर में AG ने अपने सबमिशन में जब बैंस के विशेषाधिकार के दावे के बारे में संदेह व्यक्त किया तो बैंस को एक बार फिर से गुस्सा आया। बैंस ने शिकायत की कि AG उन पर हमले कर रहे हैं और उनकी ईमानदारी पर संदेह कर रहे हैं।

    जस्टिस नरीमन और जस्टिस अरुण मिश्रा की टिप्पणी
    इस पर जस्टिस नरीमन ने गुस्से में बैंस से कहा, "आपको उन पर (AG) संदेह करने का कोई अधिकार नहीं है। वह बार के सबसे सम्मानित सदस्य हैं। हम सभी उनकी ओर सम्मान की निगाह से देखते हैं। यदि आप उनपर संदेह करते हैं तो हम आपको बाहर का रास्ता दिखा देंगे।"

    इस पर बैंस ने कहा कि वह "खुद ही बाहर जा रहे हैं।" इसपर जस्टिस अरुण मिश्रा ने हस्तक्षेप किया और कहा, "आप युवा हैं। चीजों को अपने दिल पर मत लीजिये। उनका (जस्टिस नरीमन) का मतलब यह नहीं था कि वह आपको बाहर फेंक देंगे। वह महज़ अपने गुस्से का इजहार कर रहे थे।"

    वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की इस मामले पर राय
    वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया और वर्तमान सुनवाई और जस्टिस बोबडे की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा इन-हाउस जांच की समानांतर कार्यवाही के बीच संभावित संघर्षों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पैनल इस मुद्दे पर गौर करने के लिए सक्षम नहीं है।

    "हम इस मामले की जड़ तक जाना चाहते हैं"
    जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस संबंध में कहा, "हम इस हलफनामे की सत्यता जानना चाहते हैं। यदि वह कह रहे हैं कि फिक्सर इस पूरे मामले के पीछे हैं तो हम इस मामले की जड़ तक जाना चाहते हैं। यह हमारे समक्ष एक गंभीर मुद्दा है। हम इसमें जांच करने जा रहे हैं, अन्यथा सर्वोच्च न्यायालय जीवित नहीं रहेगा।

    जस्टिस मिश्रा ने कहा कि बैंस ने जो सामग्री अदालत को सौंपी है, उसमें यह आरोप लगाया गया है कि SC के असंतुष्ट कर्मचारियों ने CJI को फंसाने की कोशिश की। जयसिंह ने कहा कि बैंस को अपनी साख के संबंध में एक हलफनामा दायर करना चाहिए। सुनवाई के बाद जस्टिस मिश्रा ने इसे खारिज कर दिया और बर्खास्त कर्मचारियों के खिलाफ अपने आरोपों के बारे में उन्होंने बैंस से एक और हलफनामा मांगा।

    पीठ ने कहा कि यह इस मुद्दे को तय करेगा कि क्या बैंस और कथित साजिशकर्ताओं के बीच बातचीत पर विशेषाधिकार का दावा किया जा सकता है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे इन-हाउस पैनल द्वारा लंबित जांच प्रभावित नहीं होगी। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।


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