सुप्रीम कोर्ट ने 'फर्जी अश्लील सीडी मामले' के ट्रायल को दिल्ली या बाहर ट्रांसफर करने की याचिका में छत्तीसगढ़ राज्य को पक्षकार बनाने की अनुमति दी

LiveLaw News Network

11 Feb 2021 7:10 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी अश्लील सीडी मामले के ट्रायल को दिल्ली या बाहर ट्रांसफर करने की याचिका में छत्तीसगढ़ राज्य को पक्षकार बनाने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई द्वारा 'फर्जी अश्लील सीडी मामले' के ट्रायल को दिल्ली या छत्तीसगढ़ के बाहर किसी अन्य जगह ट्रांसफर करने की याचिका में उत्तरदाता के तौर पर छत्तीसगढ़ राज्य को पक्षकार बनाने की अनुमति दी, जिसने अक्टूबर 2017 में छत्तीसगढ़ की राजनीति को हिला दिया था। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल इस मामले के एक आरोपी हैं।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ भाजपा के पूर्व नेता कैलाश मुरारका के एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जो इस याचिका में सह-अभियुक्त और प्रतिवादी संख्या 1 हैं।

    मुरारका की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन एस नाडकर्णी ने कहा,

    "यह कहते हुए ट्रांसफर की मांग की जा रही है कि गवाहों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। अभियोजन क्यों शुरू किया जा रहा है, केवल राज्य ही जवाब दे सकता है।"

    राज्य की सुनवाई होने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है। वे चाहें तो अपना हलफनामा दायर कर सकते हैं। मुझे राज्य को यहां शामिल होने से कोई कठिनाई नहीं है। वास्तव में, यह मेरे मामले को मजबूत करता है, " सीबीआई के लिए पेश एसजी तुषार मेहता ने जवाब दिया।

    "इस तरह के मामलों में, राज्य एक पक्षकार होता है, राज्य हमेशा एक पक्षकार रहा है! यहां ट्रांसफर के लिए आवेदन राज्य द्वारा नहीं, बल्कि इस मामले के एक अभियुक्त द्वारा दाखिल किया गया है, जो अनुरोध कर रहा है कि राज्य पक्षकारों में शामिल हो! " एसजी ने जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि वह अनुरोध के लिए सहमत हैं।

    तदनुसार, पीठ ने मुरारका द्वारा ट्रांसफर याचिका में राज्य को प्रतिवादी के तौर पर पक्षकार बनाने के आवेदन की अनुमति दी, जिसका वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था।

    18 जनवरी को पिछली सुनवाई में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को मामले में आरोपी बनाए जाने के मद्देनज़र, सीबीआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 'फर्जी अश्लील सीडी मामले' में ट्रायल को दिल्ली या छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य जगह ट्रांसफर करने की आवश्यकता जताई है। इस केस ने अक्टूबर 2017 में छत्तीसगढ़ की राजनीति को हिलाकर रख दिया था।

    पूर्ववर्ती पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणट (तत्कालीन भाजपा नीत राज्य सरकार) की बदली हुई तस्वीरों वाली एक सीडी अक्टूबर 2017 के अंत में रायपुर में घूमनी शुरू हुई। तत्कालीन राज्य सरकार ने कांग्रेस के एक साजिश के आरोप लगाने के बाद सीबीआई को जांच सौंप दी। छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भूपेश बघेल, भाजपा के पूर्व नेता कैलाश मुरारका के अलावा, इस मामले के एक अभियुक्त हैं, जिन्हें सीबीआई द्वारा अपनी चार्जशीट में नामज़द किए जाने के बाद पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई से निष्कासित कर दिया गया था।

    "ऐसा नहीं है कि सीएम को आरोपी बनाया गया है क्योंकि वह सीएम हैं। वह पहले भी आरोपी थे और बाद में सीएम बन गए ... गवाहों को धमकाया जा रहा है। कुछ गवाह दिल्ली के हैं, कुछ बॉम्बे के हैं, कुछ छत्तीसगढ़ से- यह असंभव है कि वे तब छत्तीसगढ़ की यात्रा करें, जब अभियुक्तों में से कोई एक सीएम हो! ट्रायल को दिल्ली या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जब तक कि वह छत्तीसगढ़ के बाहर हो, " जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एसजी तुषार मेहता ने आग्रह किया था।

    गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य ने पिछले साल दिसंबर में इस मामले में आवश्यक पक्ष के रूप में पक्ष बनाने के लिए एक आवेदन दायर किया था।

    "यहां आने वाला राज्य मेरे मामले को मजबूत करता है! प्रतिवादी-अभियुक्त पक्षकार बनना चाहते हैं अपने आप में ट्रांसफर का एक बहुत अच्छा कारण है, " सोमवार को एसजी ने जोर दिया । पीठ ने मामले को बाद की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की कार्यवाही की।

    दरअसल सीबीआई की स्थानांतरण याचिका पर नोटिस जारी करते हुए, कोर्ट ने अक्टूबर, 2019 में निर्देश दिया था कि इस बीच, विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (CBI मामले), रायपुर, छत्तीसगढ़ के न्यायालय के समक्ष लंबित

    सी सी नंबर 5465 /2018, " कैलाश मुरारका और अन्य बनाम सीबीआई" में आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।

    मुरारका ने सितंबर, 2018 में कहा था कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रमुख भूपेश बघेल, जो कि वह उस समय थे, का मामले से कोई लेना-देना नहीं है और वह पूरी तरह से साफ हैं। चार्जशीट दायर होने के बाद बघेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, लेकिन एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

    इस मामले के अन्य आरोपी वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा, भिलाई के व्यवसायी विजय भाटिया, विजय पांड्या और रिंकू खानूजा हैं। वर्मा और भाटिया जमानत पर बाहर हैं, जबकि रायपुर के ऑटोमोबाइल डीलर खानूजा ने 2018 में आत्महत्या कर ली।

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