कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की परीक्षा रद्द करने के CBSE के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकृति दी, जानिए CBSE की मूल्यांकन योजना
LiveLaw News Network
26 Jun 2020 11:46 AM IST
SC Accepts CBSE Notification Cancelling Examinations [Read The CBSE's Assessment Scheme For Class X & XII
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा जारी दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं की रद्द परीक्षाओं के मूल्यांकन योजना के बारे में जारी अधिसूचना के ड्राफ्ट को स्वीकृति दे दी।
CBSE ने मूल्यांकन योजना बताते हुए कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। CISCE ने पीठ को यह भी बताया कि ICSE परीक्षा भी रद्द कर दी गई हैं और वे जल्द ही मूल्यांकन योजना जारी करेंगे।
जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने CBSE और ICSE के हलफनामों को ध्यान में रखते हुए इन याचिकाओं का निपटारा किया।
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने कहा था कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ( CBSE) ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर 1 से 15 जुलाई तक होने वाली कक्षा 10 और 12 की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया है।
पीठ को एसजी ने बताया था कि सीबीएसई परीक्षाएं तब आयोजित करेगा, जब स्थिति अनुकूल होगी। एसजी ने कहा कि एक योजना बनाई गई है जहां कक्षा 12 के छात्र का अंतिम 3 परीक्षाओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। बाद में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए छात्र के पास विकल्प चुनने की सुविधा होगी।
CISCE के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा था कि सीबीएसई के सूट के बाद CISCE की परीक्षा भी रद्द कर दी जाएगी।
पीठ ने सीबीएसई को आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा के बीच विकल्प के मुद्दों को निर्दिष्ट करने और परिणामों की तिथि को स्पष्ट करने के लिए एक ताज़ा नोटिफिकेशन के निर्देश देने के बाद सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी थी।
23 जून को इस मुद्दे पर पिछली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और CBSE की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर टाली दी थी। तुषार मेहता ने जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ को बताया था कि "ये चर्चा एक उन्नत स्तर पर है। जल्द ही निर्णय को अंतिम रूप दिया जाएगा।" उन्होंने कहा कि वो छात्रों की चिंता को समझते हैं। इसलिए अदालत फैसले के लिए एक दिन का ओर समय दें।
दरअसल अभिभावकों ने एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के सीबीएसई के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं।
यह आरोप लगाते हुए कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा,अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और सीबीएसई को भी निर्देश दिया गया कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे।
उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को घातक वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित ना करने का फैसला किया है। याचिका में मांग की गई है कि सीबीएसई बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए। "शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए सीबीएसई की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में जिसमें एम्स के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID -19 महामारी अपने चरम पर होगी।