सह-अभियुक्तों की जमानत रद्द करने के कारण अन्य अभियुक्तों पर भी लागू होंगे: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

5 April 2022 8:09 AM GMT

  • सह-अभियुक्तों की जमानत रद्द करने के कारण अन्य अभियुक्तों पर भी लागू होंगे: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा सह-आरोपी की जमानत रद्द करने में न्यायालय के साथ जो कारण संबंधित हैं, वे उसी एफआईआर और घटना के संबंध में किसी अन्य आरोपी द्वारा दी गई जमानत के मामले में भी लागू होंगे।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के नौ नवंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ आपराधिक अपील पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

    आक्षेपित फैसले में हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 34 सपठित धारा 147, 148, 149, 323, 307, 302 के तहत दर्ज मामले के लिए जमानत मांगने वाले पहले प्रतिवादी द्वारा दायर आवेदन को अनुमति दी।

    पीठ ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए पांच मार्च, 2021 के अपने फैसले का हवाला दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने 23 नवंबर, 2020 के एक आदेश की शुद्धता पर विचार किया। इसमें सह-आरोपी अमरदीप और भूषण को एक ही एफआईआर से जमानत दी गई।

    दिनांक पांच मार्च, 2021 के निर्णय द्वारा जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया गया।

    पीठ ने सह आरोपी की जमानत रद्द करने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए जमानत देने के आदेश को खारिज करते हुए कहा,

    "हम पहले प्रतिवादी को जमानत देने में हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, जबकि इस न्यायालय के दिनांक पांच मार्च, 2021 के फैसले को विशेष रूप से इसके संज्ञान में लिया गया है। हाईकोर्ट ने यह नहीं माना है कि पहले प्रतिवादी का मामला जमानत देने के लिए मामले का मूल्यांकन करने के लिए तथ्यों पर प्रथम दृष्टया अलग है। तथ्य की बात के रूप में है कि सह-अभियुक्तों को दी गई जमानत को रद्द करने में जिन कारणों से इस न्यायालय के साथ वजन हुआ है, वे समान रूप से मामले पर लागू होंगे प्रथम प्रतिवादी जो उसी प्रथम सूचना रिपोर्ट और घटना से उत्पन्न होता है।"

    पीठ ने प्रतिवादी को इस आदेश की तारीख से एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया। एक उचित अवधि के भीतर मुकदमा समाप्त नहीं होने की स्थिति में प्रतिवादी को कानून में उपलब्ध उपचारों को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्रता भी दी गई।

    अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी, प्रथम प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता सौरव त्रिवेदी तथा उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से अधिवक्ता सर्वेश सिंह बघेल उपस्थित हुए।

    केस शीर्षक: ऋषिपाल @ ऋषिपाल सिंह सोलंकी बनाम राजू और अन्य| 2022 की आपराधिक अपील संख्या 541

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