रविदास मंदिर : सुप्रीम कोर्ट ने उसी जगह पर मंदिर बनाने के आदेश दिए, केंद्र का 400 वर्ग मीटर जगह देने का प्रस्ताव मंजूर

LiveLaw News Network

21 Oct 2019 8:58 AM GMT

  • रविदास मंदिर : सुप्रीम कोर्ट ने उसी जगह पर मंदिर बनाने के आदेश दिए, केंद्र का 400 वर्ग मीटर जगह देने का प्रस्ताव मंजूर

    दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर को ढहाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए उसी जगह पर मंदिर बनाने के निर्देश दिए हैं । जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी जिसमें 200 वर्ग मीटर की जगह 400 वर्ग मीटर जगह मंदिर के लिए देने की बात कही गई।

    सोमवार को पारित अपने आदेश में पीठ ने कहा है कि मंदिर के लिए स्थायी निर्माण होगा और केंद्र सरकार निर्माण के लिए 6 हफ्ते में एक समिति का गठन करेगी । पीठ ने स्पष्ट किया है कि मंदिर में और इसके आसपास कोई भी व्यावसायिक गतिविधि या पार्किंग नहीं होगी। पीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि मंदिर के ढहाए जाने के विरोध में हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार लोगों को निजी मुचलके पर छोड़ दिया जाए। पीठ ने कहा कि अब शांति रहने दीजिए।

    सरकार 400 वर्ग मीटर जगह देने को तैयार

    सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार अब 200 की जगह 400 वर्ग मीटर जगह मंदिर के लिए देने को तैयार है लेकिन यहां वन क्षेत्र होने के कारण स्थायी निर्माण नहीं बल्कि लकड़ी का मंदिर बनाया जा सकता है । हालांकि पीठ ने कहा कि यहां पक्का मंदिर बनाया जाना चाहिए।

    पीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाई जाने वाली समिति में संत रविदास जयंती समिति समारोह के सदस्य भी आवेदन दे सकते हैं ।18 अक्तूबर को दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो लोगों की आस्था को देखते हुए उसी स्थान पर 200 वर्ग मीटर जगह मंदिर बनाने के लिए तैयार है।

    केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि इस संबंध में केंद्र सरकार ने तय किया है कि लोगों की आस्था का सम्मान रखते हुए उसी जगह पर 200 वर्ग मीटर जमीन समिति को दे दी जाए । उन्होंने बताया कि सात में से पांच पक्षकारों से बात हो चुकी है और केंद्र सरकार के अधिकारियों ने भी अपनी मंजूरी दे दी है।

    गौरतलब है कि 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो धरती पर सभी की भावनाओं का सम्मान करता है। पीठ ने सभी पक्षकारों को कहा था कि वो अटार्नी जनरल से मिलकर इस मामले में किसी दूसरी जमीन पर मंदिर के निर्माण के लिए हल निकालें।

    इसके बाद इस समझौते को कोर्ट में दाखिल करें जिससे अदालत कोई आदेश जारी कर सके। पीठ ने कहा था कि इस मामले में कोई बेहतर स्थान, बेहतर जमीन और बेहतर रास्ता खोजा जाना चाहिए। पीठ ने कहा था कि ये मंदिर वन क्षेत्र पर बना था और अदालत किसी अन्य जमीन पर मंदिर बनाने पर विचार कर सकती है ।

    याचिका में कहा गया पूजा का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार

    दरअसल इस मामले में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मंत्री प्रदीप जैन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका में उन्होंने कहा है कि पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने मंदिर से जुड़े सही तथ्य नहीं रखे गए। याचिका में कहा गया कि पूजा का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है। लिहाजा पूजा करने का अधिकार दिया जाए। याचिका में ये भी मांग की गई कि मूर्ति को दोबारा लगाया जाए और साथ ही मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाए।

    याचिका में कहा गया है कि ये मंदिर 600 साल पुराना है तो डीडीए इसका हकदार कैसे हो सकता है। इससे पहले 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार को कानून- व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे। पीठ ने साफ कहा था कि उसके आदेशों के तहत गिराए गए मंदिर पर राजनीति नहीं की जा सकती। हालांकि बाद में पीठ ने कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ करने पर रोक लगा दी थी।

    मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि कोर्ट के आदेशों को धरती पर कोई भी राजनीतिक रंग नहीं दे सकता। पीठ ने ये टिप्पणी उस समय की जब केंद्र की ओर से बताया गया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक मंदिर को ढहा दिया गया है जबकि 18 संगठनों ने इस दौरान कार्रवाई का विरोध किया। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में इसका विरोध हो रहा है इसलिए इन सरकारों को निर्देश दिए जाए कि वो कानून व्यवस्था के मुद्दों की देखभाल करें।

    सुप्रीम कोर्ट राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी थी

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर के ढहाए जाने का राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और धरना और प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी थी।पीठ ने कहा था कि वह अवमानना शुरू कर सकता है।

    दरअसल दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास के मंदिर को डीडीए द्वारा ढहा दिया गया था। डीडीए का दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था। सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को ये सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए। 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया।

    यह है मामला

    संत रविदास जयंती समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया था और 20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। इस साल आठ अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया था।

    डीडीए का दावा था कि दिल्ली लैंड रिफॉर्म एक्ट 1954 के बाद ज़मीन केंद्र की हो गई है। डीडीए ने हाई कोर्ट को ये भी बताया था कि राजस्व रिकॉर्ड में समिति के मालिकाना हक़ का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। डीडीए ने ये दलील भी दी कि विवादित ज़मीन वन क्षेत्र है इस वजह से वहां किसी तरह के निर्माण को नहीं हो सकता। वहीं समिति का दावा था कि मंदिर पर मालिकाना हक उसका है।

    Tags
    Next Story