संविधान में जजों की रिटायमेंट के बाद नियुक्ति के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड का उल्लेख नहीं: केंद्रीय लॉ एवं न्याय मंत्री ने राज्यसभा में कहा
Amir Ahmad
6 Dec 2024 3:11 PM IST
जजों के रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड के बारे में सांसद राघव चड्ढा के सुझावों का जवाब देते हुए केंद्रीय लॉ एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा को बताया कि भारतीय संविधान में जजों की रिटायरमेंट के बाद कूलिंग-ऑफ पीरियड के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है।
गुरुवार (05 दिसंबर) को चड्ढा ने कहा कि हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को उनकी रिटायरमेंट के बाद कार्यकारी पदों पर नियुक्त किया गया।
उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद के पदों से हितों के टकराव, न्यायिक प्रक्रिया में कार्यकारी हस्तक्षेप और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि (i) जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद किसी कार्यकारी या राजनीतिक पद या किसी समिति की अध्यक्षता प्राप्त करने के लिए 2 साल का कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए।
(ii) जजों की पेंशन बढ़ाई जानी चाहिए ताकि वे रिटायमेंट के बाद कोई पद न लें।
(iii) जजों की नियुक्ति रिटायरमेंट के बाद योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए।
लॉ एवं न्याय मंत्री मेघवाल ने जवाब दिया कि संविधान में कूलिंग पीरियड का उल्लेख नहीं है।
मेघवाल ने यह भी बताया कि वैधानिक निकायों और न्यायाधिकरणों को ठीक से काम करने के लिए आवश्यक योग्यता वाले रिटायर्ड जजों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि यदि उनके पदों को नहीं भरा गया तो ये निकाय काम नहीं करेंगे।