पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश

LiveLaw News Network

14 Dec 2021 4:10 AM GMT

  • पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश

    तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों ने साथी सांसद और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधी रंजन गोगोई के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है। एआईटीसी सदस्यों ने राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को पत्र लिखकर गोगोई द्वारा विशेषाधिकार हनन का सवाल उठाया।

    9 दिसंबर, 2021 को एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में राज्यसभा में उनकी उपस्थिति पर एक सवाल के जवाब में जस्टिस गोगोई द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के संबंध में नोटिस भेजा गया है।

    नोटिस में, एक टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में गोगोई की टिप्पणी को लेकर कहा गया कि राज्यसभा की अवमानना कर रहे हैं और सदन की गरिमा को ठेस पहुंचा है और विशेषाधिकार हनन हुआ है।

    नोटिस में काउंसिल ऑफ स्टेट्स में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 187 का हवाला दिया गया है। उक्त नियम के तहत एक राज्यसभा सदस्य, सभापति (भारत के उपराष्ट्रपति) की सहमति के बाद सदन के किसी सदस्य के विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठा सकता है।

    नोटिस में कहा गया है कि एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में गोगोई ने अन्य बातों के अलावा कहा था कि एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में वह जब चाहें राज्यसभा में उपस्थित होते हैं।

    पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा था,

    "जब मेरा मन करता है मैं राज्यसभा जाता हूं, जब मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण मामले हैं जिन पर मुझे बोलना चाहिए। मैं एक मनोनीत सदस्य हूं जो किसी पार्टी के व्हिप द्वारा शासित नहीं है। लिहाजा जब भी पार्टी सदस्यों को सदन में उपस्थित होने के लिए निर्देश किया जाता है, तो वह मुझ पर बाध्य नहीं होता है। मैं अपनी इच्छानुसार वहां जाता हूं और आता हूं। मैं सदन का स्वतंत्र सदस्य हूं।"

    भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद ही उनके राज्यसभा में शामिल होने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,

    "राज्यसभा के बारे में कोई जादू नहीं है? अगर मैं ट्रिब्यूनल का सदस्य होता तो मेरे वेतन के मामले में बेहतर होता।"

    नोटिस में कहा गया है कि मिसालें और प्रथाएं बताती हैं कि विशेषाधिकार समिति के पास विशेषाधिकार के कथित उल्लंघन की जांच करने का अधिकार है, भले ही टिप्पणी राज्यसभा के बाहर की गई हो। सांसदों ने समिति के हस्तक्षेप की मांग की और विशेषाधिकार हनन के सवाल को उसके समक्ष रखने की मांग की।

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