कांग्रेस- BSP विलय पर दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसला सुनाने पर निष्प्रभावी करार देकर खारिज किया 

LiveLaw News Network

24 Aug 2020 9:30 AM GMT

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    Supreme Court of India

    सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विधानसभा में भा रतीय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह विधायकों का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ विलय को मंज़ूरी देने के स्पी कर के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को निष्प्रभावी के रूप में इस आधार पर खारिज कर दिया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है।

    राजस्थान स्पीकर डॉ सीपी जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ को अवगत कराया कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुना दिया है।

    राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, निर्धारित समय के भीतर बसपा विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका पर योग्यता के आधार पर निर्णय लेने के लिए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष को समय दिया गया है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता एससी मिश्रा और सत्य पाल जैन ने क्रमशः बसपा और भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका पर उच्च न्यायालय के फैसले पर विचार करने के लिए और समय मांगा।

    हालांकि, पीठ ने याचिका को निष्प्रभावी बताते हुए खारिज कर दिया।

    13 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में बसपा विधायकों के कांग्रेस के साथ विलय के लिए स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने की याचिका पर आदेश जारी करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधानसभा सत्र के दौरान सदन के पटल पर किसी भी तरह के लेन-देन न्यायालय आदेश के अधीन होंगे।

    अदालत भाजपा विधायक मदन दिलावर द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी के फैसले को रोकने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती दी गई थी, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 6 विधायकों के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में विलय को मंज़ूरी दी गई थी।

    न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, हरीश साल्वे और डॉ राजीव धवन की दलीलें सुनीं, जो क्रमशः स्पीकर, दिलावर और छह विधायकों में से एक के लिए पेश हुए और कहा कि सदन के पटल पर कोई भी लेन-देन होगा तो वो न्यायालय के आदेशों के अधीन होगा।

    वरिष्ठ अधिवक्ता एससी मिश्रा ने बीएसपी की ओर से पेश होकर एक अंतरिम आदेश की मांग की और कहा कि अगर इस तरह की चीजों की अनुमति दी जाती है (तो विलय का हवाला देते हुए) लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं चलेगी।

    हालांकि, बेंच इस मामले पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं थी क्योंकि यह राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा सुना जा रहा था।

    सितंबर 2019 में, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने कांग्रेस के साथ बसपा के छह विधायकों के विलय की अनुमति दी थी। इन छह विधायकों को बसपा द्वारा जारी टिकट पर दिसंबर 2018 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुना गया था। उनके द्वारा सितंबर 2019 में अध्यक्ष को एक आवेदन प्रस्तुत किया गया था, जिन्होंने विलय की अनुमति दी थी।

    स्पीकर के फैसले को चुनौती देते हुए, दिलावर ने भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मार्च 2020 में राजस्थान उच्च न्यायालय का रुख किया था, इस मामले में सदन की कार्यवाही में शामिल होने से छह विधायकों को प्रतिबंधित करने के लिए उस पर रोक लगाने की मांग की गई थी कोर्ट में लंबित इस याचिका को बाद में वापस ले लिया गया था।

    उसके बाद स्पीकर ने 28 जुलाई को बीएसपी विधायकों को अयोग्य ठहराने की दिलावर की याचिका को खारिज करते हुए एक आदेश पारित किया। राजस्थान उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच के समक्ष दिलावर ने इसे चुनौती दी थी।

    राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ और डिवीजन बेंच दोनों ने स्पीकर के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया।

    इस बीच, छह विधायकों द्वारा एक ट्रांसफर याचिका दायर की गई और सुप्रीम कोर्ट में केस के ट्रांसफर की मांग की गई लेकिन पिछली सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अमित पई ने स्थानांतरण याचिका वापस ले ली।

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