सचिन पायलट मामला : राजस्थान हाईकोर्ट ने तय किए कानून के 13 प्रश्न

LiveLaw News Network

24 July 2020 9:53 AM GMT

  • सचिन पायलट मामला : राजस्थान हाईकोर्ट ने तय किए कानून के 13 प्रश्न

    राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस के बागी विधायकों के सचिन पायलट के नेतृत्व वाले समूह को राहत देते हुए स्पीकर द्वारा इस विधायक समूह को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर यथास्थिति रखने का आदेश दिया।

    सचिन पायलट खेमे को मिली राहत, राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर के नोटिस पर दिया यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

    साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की पीठ ने सचिन पायलट और 18 विधायकों की याचिका पर कानून के 13 प्रश्न तय किए हैं जिन पर वो सुनवाई करेंगे।

    वे प्रश्न इस प्रकार हैंं

    (i) सुप्रीम कोर्ट का किहोतो होलोहन बनाम जचिल्लहू और अन्य 1992 SCC Supp (2) 651 का फैसला सिर्फ ' क्रासिंग ओवर ' या दलबदल के आधार पर था या पार्टी के भीतरी असहमति के प्रश्न पर भी विचार किया गया था।

    (ii) क्या, वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 2 (1) (ए) उल्लंघनकारी है, विशेष रूप से भारत के संविधान के मूल ढांचे में के खिलाफ और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ,और इस प्रकार शून्य है ?

    ( iii) क्या पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जोरदार शब्दों में असहमति या मोहभंग की अभिव्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2( 1) (a) के दायरे में आने वाला आचरण हो सकता है?

    (iv) क्या अध्यक्ष ने जिन आधारभूत तथ्यों पर नोटिस जारी किया है, क्या वे तथ्य संवैधानिक तथ्यों के खिलाफ हैं , क्या वे प्रावधान असंवैधानिक हैं?

    (v) क्या संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2( 1) (a) तहत किसी भी विधायक के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए स्पीकर के अधिकार क्षेत्र के अभ्यास के तरीके को स्पीकर के अधिकार क्षेत्र से अलग किया जाना चाहिए या नहीं?

    ( vi) क्या पार्टी ' व्हिप' के जरिए विधायकों से अपेक्षित कार्यों के लिए अनुशासन को सदन के भीतर ही लागू किया जा सकता है?

    ( vii) क्या स्पीकर तत्काल याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए संवैधानिकता के उक्त प्रश्न पर निर्णय देने की स्थिति में नहीं हैं?

    ( viii) क्या अध्यक्ष द्वारा जारी किया गया नोटिस लोकतंत्र के सार का पूर्व-उल्लंघन है और इसका उद्देश्य सत्ता में व्यक्तियों के खिलाफ असहमति की आवाज को दबाना है?

    ( ix) चाहे नोटिस के माध्यम से, लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त की गई पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं की आवाज को दबाने करने की कोशिश की गई है और याचिकाकर्ताओं को धमकी दी जा रही है कि वे ऐसे नेतृत्व के कामकाज पर अपना विरोध व्यक्त करने के अधिकार को त्याग दें ?

    ( x) क्या एक विधायक द्वारा सदन के बाहर

    मुख्यमंत्री / पार्टी की राज्य इकाई के कामकाज की आलोचना करना भी

    दसवीं अनुसूची के पैरा 2( 1) (a) में स्वेच्छा से राजनीतिक पार्टी से अपनी सदस्यता 'छोड़ने' का अर्थ के दायरे में है

    ( xi) यदि प्रश्न संख्या x का उत्तर सकारात्मक है, तो क्या पैरा 2( 1) (a) संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता जिसमें अनुच्छेद 19(1)(a), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन शामिल है ?

    ( xii) क्या 14 जुलाई 2020 को नोटिस जारी करने की विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई जल्दबाजी, दुर्भावनापूर्ण, प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन में,शक्ति का दुरुपयोग नहीं है, और यह भी इसमें पहले ही निष्कर्ष निकाला जा चुका है?

    ( xiii) क्या किहोतो होलोहन बनाम जचिल्लहू और अन्य 1992 SCC Supp (2) 651 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐसा समझा जा सकता है कि उसने हाईकोर्ट को इन प्रश्नों की जांच करने से रोक दिया है ?

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