COVID-19 : सभी हितग्राही एहतियाती उपाय का सख्ती से पालन करें : एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा

LiveLaw News Network

17 March 2020 3:00 AM GMT

  • COVID-19 : सभी हितग्राही एहतियाती उपाय का सख्ती से पालन करें : एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट के जजों और कुछ जाने माने चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ एक बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने सोमवार को एक विस्तृत संदेश जारी किया है, जिसमें अदालत के सभी कर्मचारियों, वकील, पक्षकार और अन्य हितधारकों को उन आवश्यक एहतियाती उपायों की जानकारी दी है,जिनका पालन COVID-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए हर समय किया जाना चाहिए।

    यह संदेश रविवार शाम को मुख्य न्यायाधीश एस.ए बोबडे द्वारा बुलाई गई एक तत्काल बैठक के आधार पर तैयार किया गया है। इस बैठक में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति यू.यू ललित, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति नागेश्वर राव के अलावा जाने माने डॉक्टरों के साथ सरकार के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया था।

    इस बैठक में मेदांता हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ नरेश त्रेहान, जाने माने पैथोलॉजिस्ट डॉ नवीन डांग, गंगाराम के डॉ नीरज जैन, अपोलो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के सीईओ डॉ सिब्बल और फोर्टिस हॉस्पिटल के सीईओ डॉ रघुवंशी शामिल थे।

    सरकार के प्रतिनिधियों में आईसीएमआर(जो वायरस के खिलाफ लड़ाई की अगुआई कर रहे हैं) के डॉ भार्गव , एम्स के निदेशक डॉगुलेरिया और एससी की डॉ श्यामा भी शामिल थीं।

    बैठक में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए ) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) दोनों का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और सचिवों द्वारा किया गया।

    अपने संदेश में, दवे ने कहा है कि विशेषज्ञों ने यह सुनिश्चित किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 12-12 मामलों की सुनवाई के लिए सिर्फ छह बेंच बैठाने की मौजूदा व्यवस्था, इस स्थिति को संभालने का सही तरीका है और बुधवार को इसकी समीक्षा करने की पूरी संभावना है।

    उन्होंने आगे की बैठक की चर्चाओं और निष्कर्षों को संक्षेप में प्रस्तुत किया-

    1. जैसा ही पहले ही बताया जा चुका है अब वकीलों, सहायक कर्मचारियों, वादियों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाएगा , लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह आवश्यक होगा कि वे अपने बारे में जानकारी/ घोषणा करते समय ईमानदार रहें। जैसे कि-

    - यदि उन्होंने हाल ही में विदेश यात्रा की है,

    - अगर उन्हें खांसी-जुकाम या बुखार है,

    - अगर उनके संपर्क में आने वाले किसी व्यक्ति का कोरोना वायरस से संपर्क हुआ है,

    तो यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति न दी जाए।

    2. हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने के लिए इसे कोर्ट परिसर के अंदर विभिन्न स्थानों पर रखा जाएगा और सदस्यों को प्रवेश करने से पहले और कोर्ट परिसर में रहने के दौरान भी इसका उपयोग करना होगा।

    विशेषज्ञों ने कहा है कि इस स्थिति में साबुन का उपयोग भी समान रूप से अच्छा है और महसूस किया गया कि मास्क पहनना एक पूर्ण रूप से सुरक्षित साबित नहीं हुआ है और इस पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है।

    3. कोर्ट के अंदर व परिसर में भी, सभी को एक दूसरे से पांच से छह फीट की दूरी बनाए रखनी चाहिए और किसी भी शारीरिक संपर्क को रोकने के लिए एक दूसरे को विश या अभिवादन करते समय हाथ मिलाने या गले लगने से बचना चाहिए।

    4. सामान्य बीमारियों जैसे मधुमेह, फेफड़े में संक्रमण, अन्य बीमारियों से पीड़ित और इनका इलाज ले रहे लोगों को अपने हित में अदालत में नहीं आना चाहिए क्योंकि वे असुरक्षित हैं।

    5. प्रवेश करने वाले सभी लोगों को आवश्यक जानकारी देने के लिए ईमानदारी से डिक्लेयरेशन फॉर्म भरना चाहिए और यह भी सुझाव दिया गया कि बार कुछ स्वयंसेवकों को अनुशासन का पालन सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त कर सकती ,विशेष रूप से कोर्टरूम के अंदर।

    इस संबंध में, इच्छुक व्यक्ति एससीबीए के सचिव अशोक अरोड़ा से संपर्क कर सकते हैं।

    मुख्य रूप से, भारत अब तक COVID-19 के प्रभावों से काफी अछूता रहा है और अपने संदेश के माध्यम से दवे ने सभी सदस्यों से अनुरोध किया है कि

    एसोसिएशन के सदस्य उपरोक्त सुझावों का पालन करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति खराब न हो और महामारी की आशंका के कारण सुप्रीम कोर्ट बंद न हो।

    एहतियाती उपाय के रूप में, अधिकांश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपने कामकाज को केवल तत्काल मामलों को सुनने तक सीमित कर दिया है।

    अदालतों में व्यक्तियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं ताकि सिर्फ उन्हीं को प्रवेश या आने की अनुमति दी जा सकें जिनका आना जरूरी है।

    ऐसे लोगों को भी अनिवार्य थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही आने दिया जाएगा।

    अदालतों ने भी स्थगन के सभी अनुरोध पर गौर करने और किसी भी एडवोकेट /वादी के पेश न होने पर कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं करने का फैसला किया है।

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