दुर्घटना के बाद दावेदार की स्थिति 'सुविधाओं और खुशी के नुकसान' के मद में मुआवजा निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक कारक: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

26 Feb 2022 5:51 AM GMT

  • दुर्घटना के बाद दावेदार की स्थिति सुविधाओं और खुशी के नुकसान के मद में मुआवजा निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक कारक: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना के बाद दावेदार की स्थिति 'सुविधाओं और खुशी के नुकसान' के मद में मुआवजे का निर्धारण करने के लिए एक प्रासंगिक कारक है।

    न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने आठ साल से कोमा में रहने वाले व्यक्ति को दर्द, सदमा और पीड़ा तथा सुख-सुविधाओं और जीवन की खुशी के नुकसान के मद में दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "दावेदार द्वारा झेले गए दर्द, पीड़ा और आघात की भरपाई पैसे के रूप में नहीं की जा सकती है। हालांकि, फिर भी यह (मुआवजे में वृद्धि) दर्द, सदमे और पीड़ा, सुविधाओं की हानि और जीवन की खुशी के नुकसान सहित विभिन्न मदों के तहत उपयुक्त मुआवजा देने के लिए एक सांत्वना होगी।"

    01.01.2013 को हुई एक वाहन दुर्घटना में दावेदार को मस्तिष्क में गंभीर चोटें आईं। उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी। हालांकि उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन दावा याचिका दायर होने तक भी वे कोमा में रहे। हाईकोर्ट ने इस मामले में विभिन्न मदों के तहत मुआवजे की राशि को 94,37,300/- से बढ़ाकर 1,24,94,333/- रुपये कर दिया। हालांकि, इसने केवल दर्द और पीड़ा के मद में 2,00,000/- रुपये और भविष्य की सुख-सुविधाओं के नुकसान के तहत केवल 1,00,000/- रुपये का मुआवजा दिया।

    सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दावेदार द्वारा दायर अपील में कहा कि दावेदार लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहे और वह कई मस्तिष्क आघातों/चोटों के कारण अब भी कोमा में हैं और बिस्तर पर है। कोर्ट ने बीमा कंपनी के इस तर्क को भी नोट किया कि जब भविष्य की कमाई क्षमता के नुकसान को 100% मानकर मुआवजा दिया जाता है, तो सुविधाओं के नुकसान या उम्मीद की हानि के मद में केवल एक सांकेतिक राशि या मामूली राशि प्रदान की जा सकती है, नहीं तो मुआवजे के पुरस्कार में दोहराव हो सकता है।

    यह देखा गया कि दर्द और पीड़ा और सुविधाओं और खुशी के नुकसान के मद में मुआवजे की राशि के लिए एक समान फॉर्मूला नहीं हो सकता है।

    बेंच ने कहा:

    "यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है और यह दुर्घटना के कारण अलग-अलग पीड़ित व्यक्ति में अलग-अलग होता है। जहां तक दर्द, सदमे और पीड़ा के मद में मुआवजा देने का संबंध है, कई कारकों पर विचार करने की आवश्यकता होती है, जैसे- लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना; गंभीर चोटें लगना; ऑपरेशन होना और परिणामी दर्द, बेचैनी और पीड़ा। इसी तरह, दावेदार और उसके परिवार के सदस्यों को मिली सुख-सुविधाओं का नुकसान भी विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें दावेदार के बाद की स्थिति भी शामिल है और क्या, वह जीवन और/या उस सुख का आनंद लेने की स्थिति में है जिसका वह दुर्घटना से पहले आनंद ले रहा था। दावेदार ने जीवन में सुविधाओं और खुशी को किस हद तक खो दिया है, यह प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा।"

    हाईकोर्ट के फैसले को संशोधित करते हुए, पीठ ने कहा कि दावेदार दावा याचिका दायर करने की तारीख से वसूली तक 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ कुल 1,41,94,333 /- रुपये की मुआवजा राशि का हकदार होगा।

    हेडनोट्सः मोटर वाहन अधिनियम, 1988 - मोटर दुर्घटना मुआवजा - दर्द, आघात और पीड़ा के मद में मुआवजा देते वक्त जिन कारकों पर विचार किया जाना है, वे हैं - लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना; गंभीर चोटें; ऑपरेशन और परिणामी दर्द, असहजता और पीड़ा – इन सबके लिए एक समान फॉर्मूला नहीं हो सकता। यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है और यह दुर्घटना से पीड़ित अलग-अलग व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकता है। (पैरा 8)

    मोटर वाहन अधिनियम, 1988 - मोटर दुर्घटना मुआवजा - दावेदार और उसके परिवार के सदस्यों को हुई सुख-सुविधाओं की हानि के मद में मुआवजा देना - कारक - दुर्घटना के बाद दावेदार की स्थिति और क्या वह जीवन का आनंद लेने की स्थिति में है और/या वह खुशी जिसका वह दुर्घटना से पहले आनंद ले रहा था। दावेदार ने जीवन में किस हद तक सुविधाओं और खुशियों को खो दिया है, यह प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगी। (पैरा 8.1)

    मोटर वाहन अधिनियम, 1988 - मोटर दुर्घटना मुआवजा - दावेदार आठ वर्षों की अवधि के बाद भी कोमा में है और उसे अपने पूरे जीवन के दौरान स्थायी रूप से बिस्तर पर रहना होगा - सुविधाओं की हानि और खुशी के मद में मुआवजे के तौर पर केवल रु.1,00,000/ की राशि अनुचित और अल्प है - रु.10,00,000/- तक बढ़ा दिया गया है - दावेदार द्वारा झेले गए दर्द, पीड़ा और आघात की भरपाई पैसे के रूप में नहीं की जा सकती है। हालांकि, फिर भी दर्द, सदमा और पीड़ा, सुविधाओं की हानि और जीवन की खुशी सहित विभिन्न मदों के तहत उपयुक्त मुआवजा देने के लिए यह एक सांत्वना होगी - दर्द, सदमे और पीड़ा के मद में मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। (पैरा 7, 8.1)

    केस: बेन्सन जॉर्ज बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड। सीए 1540/2022 | 25 फरवरी 2022

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एससी) 214

    कोरम: जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न

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