PNB Scam: नीरव मोदी के बहनोई अपने बैंक अकाउंट के एक्सेस की अथॉरिटी सीबीआई को देने के लिए सहमत

Brij Nandan

9 Feb 2023 9:23 AM GMT

  • PNB Scam: नीरव मोदी के बहनोई अपने बैंक अकाउंट के एक्सेस की अथॉरिटी सीबीआई को देने के लिए सहमत

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को नीरव मोदी के बहनोई मैनक मेहता की हांगकांग स्थित अपने घर वापस जाने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि मेहता सीबीआई को अथॉरिटी देने के लिए तैयार हैं, ताकि वह अपने अकाउंट के डिटेल्स के प्रकटीकरण के लिए सीधे बैंकों से संपर्क कर सके और आवश्यकतानुसार सिक्योरिटी भी प्रदान कर सके।

    मेहता को हांगकांग में अपने घर जाने की अनुमति देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मेहता ब्रिटिश नागरिक हैं और हांगकांग में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह 8 सितंबर, 2021 को भारत लौटा और मुंबई में अदालत के सामने पहली बार पेश हुआ।

    कुछ महीनों के बाद, मेहता ने कहा कि हांगकांग में उनको वापस घर जाना है और उनके परिवार, जिसमें पत्नी, बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता शामिल थे, को उनकी जरूरत है। मेहता को घर जाने की अनुमति दी गई। सीबीआई और ईडी दोनों नीरव मोदी के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक मामले की जांच कर रहे हैं और मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुके हैं।

    पिछली सुनवाई में, एएसजी एसवी राजू की दलीलों पर कि मेहता ने सीबीआई को लेटर ऑफ अथॉरिटी’ प्रदान करने से इनकार कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने मेहता को बैंक खातों के लिए सीबीआई को "लेटर ऑफ अथॉरिटी" प्रदान करने का सुझाव दिया था, जिसकी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में सीबीआई जांच की जा रही है।

    आज, मेहता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मेहता ने प्रक्रिया में पूरी तरह से सहयोग किया है। मेहता ने आगे कहा कि "लेटर ऑफ अथॉरिटी" को सिफारिश के अनुसार प्रस्तुत किया जाएगा ताकि सीबीआई अकाउंट डिटेल्स के प्रकटीकरण के लिए सीधे बैंकों से संपर्क कर सके। हालांकि, ऐसा ही किया जाएगा बशर्ते कि सीबीआई एक समय सीमा प्रस्तुत करे जिसके भीतर मेहता को विदेश यात्रा की अनुमति दी जाएगी।

    उन्होंने यह भी कहा कि मेहता अपने माता-पिता की अचल संपत्तियों के टाइटल डीड के साथ-साथ अपने माता-पिता के पासपोर्ट सहित सिक्योरिटी प्रदान करने के लिए तैयार है।

    सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने कहा,

    "उन्होंने पूरी तरह से सहयोग किया है और फिर भी यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अब लोग वास्तव में सहयोग करने से भी डर रहे हैं, उनके उदाहरण को देखकर कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।"

    सीजेआई ने आदेश में कहा,

    “यह स्पष्ट है कि सीबीआई की मांग के परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय के समक्ष प्राप्त स्थिति वर्तमान प्वाइंट्स पर काफी भिन्न है। पहला प्रतिवादी सीबीआई को लेटर ऑफ अथॉरिटी देने के लिए तैयार है, बशर्ते कि आदेश पारित किया गया हो। प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा दी गई है। सीबीआई द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों के संबंध में, कार्यवाही के लिए उच्च न्यायालय में वापस जाना उचित होगा। हम सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के पास वापस जाने के लिए कार्यवाही के लिए इच्छुक हैं। कोई देरी नहीं है। उच्च न्यायालय इस मामले पर नए सिरे से विचार करेगा और एक महीने के भीतर नए आदेश पारित करेगा।"

    केस टाइटल: सीबीआई बनाम मैनक मेहता व अन्य| एसएलपी (सीआरएल) संख्या 8915/2022 II-ए


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