एमपी सिविल जज (प्री) एग्जाम के साथ टकराव के कारण हरियाणा जेएस (मेन्स) एग्जाम स्थगित करने की याचिका: सुप्रीम कोर्ट चार मई को सुनवाई करेगा

LiveLaw News Network

2 May 2022 8:10 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा सिविल सेवा (ज्यूडिशल ब्रांच) - 2021 के मैन एग्जाम को स्थगित करने की मांग वाली रिट याचिका पर सुनवाई को चार अगस्त तक स्थगित कर दी। इस याचिका में हरियाणा सिविल सेवा (ज्यूडिशल ब्रांच) - 2021 के मैन एग्जाम और मध्य प्रदेश सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करने की घोषित तिथि को लेकर टकराव (क्लैश) हो रहा था। इसी के मद्देनजर, याचिकाकर्ता ने हरियाणा सिविल सेवा (ज्यूडिशल ब्रांच- 2021 के मैन एग्जाम को स्थगति करने की मांग की।

    जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि अशोक माथुर, एचपीएससी के सरकारी वकील को आवश्यक पेपर दिए जाएंगे। मोनिका गोसाईं, हरियाणा राज्य के लिए सरकारी वकील को पहले ही पेपर दिए जा चुके हैं। मामले को चार मई को उठाए जाने की जानकारी दोनों पक्षों को दी जाएगी।"

    एचसीएस (ज्यूडिशल ब्रांच)- 2021 के मैन एग्जाम 6 मई, 2022 से 8 मई, 2022 तक आयोजित होने वाली है, इसी दिन सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) एग्जाम -2021 की प्रारंभिक परीक्षा की तिथि घोषित की गई है। यह एग्जाम 6 मई 2022 को होने वाला है।

    याचिका में दिए गए तर्क

    याचिका में कहा गया कि एचपीएससी द्वारा जारी घोषणा के कारण याचिकाकर्ताओं के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने की संभावना है और मध्य प्रदेश ज्यूडिशल ब्रांच एग्जाम में भाग लेने के उनके अधिकार का उल्लंघन होगा और याचिकाकर्ताओं को एक अपूरणीय क्षति और अन्याय होगा।

    उन्होंने तर्क दिया है कि जब एचपीएससी ने 22 अप्रैल, 2022-24 अप्रैल, 2022 और 6 मई, 2022-8 मई, 2022 तक की तारीखों को बदलने का फैसला किया तो एमपीएचसी के सिविल जज की पूर्व परीक्षा की तारीखें पहले से ही सार्वजनिक थीं।

    याचिका में यह भी कहा गया कि नई तारीखें तय करते समय एचपीएससी को अधिक सतर्क रहना चाहिए था और यह उनका कर्तव्य था कि वे उस तारीख का चयन न करें जिस पर पहले से ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एग्जाम कराने का फैसला किया है।

    याचिका में यह भी कहा गया कि कुछ उम्मीदवारों के लिए मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा में बैठने का यह अंतिम मौका है, लेकिन उनकी पूरी तैयारी, उम्मीदें और आकांक्षाएं बर्बाद हो जाएंगी क्योंकि उन्हें परोक्ष रूप से बैठने से रोक दिया जाएगा।

    याचिका में यह भी कहा गया कि इस मुद्दे के संबंध में दायर याचिका पहले ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है, जिसका आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया है।

    इस पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित राहत की मांग की है:

    - एचपीएससी द्वारा जारी नोटिस दिनांक 30.03.2022 को रद्द करने और प्रतिवादियों को हरियाणा सिविल सेवा (ज्यूडिशल ब्रांच) की मुख्य परीक्षा स्थगित करने का निर्देश देने का निर्देश दिया जाए।

    - एचपीएससी को हरियाणा सिविल सेवा (ज्यूडिशल ब्रांच) की मुख्य परीक्षा 06.05.2022 (मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तिथि) से 15.05.2022 (गुजरात न्यायिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा तिथि) को छोड़कर किसी अन्य तिथि तक स्थगित करने का निर्देश दिया जाए।

    - प्रतिवादियों को एक नई तारीख तय करने का निर्देश दिया जाए, जो किसी अन्य राज्य की न्यायिक सेवा परीक्षाओं से मेल नहीं खाती हो।

    पीठ वर्मतान रिट याचिका में हस्तक्षेप की मांग करने वाले आवेदन पर भी विचार कर रही थी, जिसे राघव गुम्बर (जो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता थे) और 40 अन्य ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड नमित सक्सेना के माध्यम से स्थानांतरित किया था। इस रिकॉर्ड में यह कहा गया कि आवेदकों के अधिकार और हित प्रभावित हुए हैं और उनसे भागीदारी का उचित अवसर छीना जा रहा है, जो कि देश के कानून के सख्त खिलाफ है।

    केस शीर्षक: निशा कुमारी और अन्य बनाम हरियाणा लोक सेवा आयोग और अन्य| डब्ल्यूपी (सी) 310/2022

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