ईडी निदेशक के 5 साल के कार्यकाल की अनुमति देने वाले सीवीसी संशोधन अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

Shahadat

13 July 2022 11:01 AM GMT

  • ईडी निदेशक के 5 साल के कार्यकाल की अनुमति देने वाले सीवीसी संशोधन अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

    केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम 2021 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई है। उक्त संशोधन प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के डायरेक्टर के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नेता डॉ. जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार द्वारा 17 नवंबर, 2021 को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक और वर्ष बढ़ाने के आदेश को भी चुनौती दी गई है।

    याचिकाकर्ता ने कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन कॉज द्वारा दायर मामले में 8 सितंबर, 2021 को दिए अपने फैसले में निर्देश दिया था कि एसके मिश्रा को और विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए, जिनका ईडी निदेशक के रूप में कार्यकाल 16 नवंबर, 2021 को समाप्त होना था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत केंद्र सरकार ने 17 नवंबर, 2021 से उनके कार्यकाल को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया।

    याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि एसके मिश्रा का कार्यकाल समाप्त होने के दो दिन पहले राष्ट्रपति ने ईडी निदेशक के कार्यकाल के लिए पांच साल तक के विस्तार की अनुमति देने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन करने के लिए अध्यादेश जारी किया। अध्यादेश को उस अधिनियम से बदल दिया गया, जिसे दिसंबर, 2021 में पारित किया गया था।

    याचिकाकर्ता का तर्क है कि अध्यादेश केवल एसके मिश्रा को लाभ देने के इरादे से लाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि मिश्रा ने मई, 2020 में 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद अन्यथा सेवानिवृत्ति प्राप्त की है। उन्हें शुरुआत में नवंबर, 2018 में दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवानिवृत्ति के बावजूद, नवंबर, 2020 में केंद्र ने उनकी प्रारंभिक नियुक्ति को तीन साल के रूप में पूर्वव्यापी रूप से संशोधित करने का आदेश पारित किया। इस कार्रवाई को कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में चुनौती दी गई थी।

    हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को दिए गए एक साल के विस्तार को बरकरार रखा, लेकिन निर्देश दिया कि नवंबर, 2021 के बाद उन्हें और कोई विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए।

    अदालत ने निर्देश दिया था,

    "अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने के बाद प्रवर्तन निदेशक का पद धारण करने वाले व्यक्तियों को दिए गए कार्यकाल का कोई भी विस्तार अल्प अवधि के लिए होना चाहिए। हम वर्तमान मामले में दूसरे प्रतिवादी के कार्यकाल के विस्तार में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखते। उनका कार्यकाल नवंबर, 2021 में समाप्त हो रहा है। हम यह स्पष्ट करते हैं कि दूसरे प्रतिवादी को कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा।"

    याचिकाकर्ता का तर्क है कि मिश्रा को दिया गया एक्सटेंशन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का घोर उल्लंघन है।

    एडवोकेट प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई के लिए बुधवार सुबह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के समक्ष मामले का उल्लेख किया।

    अप्रैल में तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने एसके मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

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