लॉकडाउन के उल्लंघन के मामूली मामलों को लेकर लोगों को परेशान न किया जाए, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

22 April 2020 3:30 AM GMT

  • लॉकडाउन के उल्लंघन के मामूली मामलों को लेकर लोगों को परेशान न किया जाए,  सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है कि COVID-19 महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के उल्लंघन के मामूली मामलों को लेकर हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया जा रहा है जिसकी वजह से पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है। इस मामले को लेकर पहले याचिका दायर की जा चुकी है, जिस पर यह हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है।

    यह आवेदन सेंटर फ़ॉर अकाउंटबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) ने दायर किया है जिसके माध्यम से लॉकडाउन के दौरान लोगों के ख़िलाफ़ हज़ारों की संख्या में दर्ज हो रहे एफआईआर की ओर ध्यान दिलाया गया है। इसमें एडवोकेट सचिन मित्तल ने सीएएससी के अध्यक्ष डॉक्टर विक्रम सिंह की ओर से कहा है कि इससे अदालत और पुलिस पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है।

    आईए में कहा गया है कि जघन्य अपराधों में गिरफ़्तारी की बात समझी जा सकती है पर मामूली अपराधों में इससे बचा जा सकता है।

    इसमें कहा है कि पहला मामूली अपराध है जहां सिर्फ़ शिकायत से काम चल जाता है जबकि दूसरा का वह है जिस पर एफआईआर के माध्यम से कार्रवाई होती है।

    आगे कहा गया है कि लॉकडाउन के उल्लंघन के नाम पर मामूली अपराध में न तो एफआईआर दर्ज हो और न ही किसी की गिरफ़्तारी हो। इसमें कहा गया है कि ऐसे वाक़ये हुए हैं जब काफ़ी ज़्यादा बल प्रयोग किए गए हैं और कई बार तो इसकी वजह से लोगों की जानें भी गई हैं।

    जेल में लोगों में COVID-19 का संक्रमण बढ़ने के ख़तरे हैं और इस बारे में स्वतः संज्ञान लेते हुए एक सिविल याचिका 1/2020 का ज़िक्र भी किया गया है जिसमें भी वही बातें कही गई हैं। इसलिए जेलों में लोगों के ज़्यादा जमा होने से वहांं COVID-19 संक्रमण फैलने की आशंका ज़्यादा हो जाती है और इससे लॉकडाउन का उद्देश्य पराजित हो जाता है।

    अर्ज़ी में कहा गया है कि इसमें लॉकडाउन के उल्लंघन का सुझाव नहीं दिया जा रहा है बल्कि लॉकडाउन अपने आप में पवित्र नहीं है और इसमें कई तरह की ढील दी जा सकती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश ने राजस्थान के कोटा से छात्रों को लाने के लिए 250 बसें भेजी।

    इस तरह के उल्लंघन के लिए राज्य सरकार के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होती है। तो इस स्थिति में पुलिस उन लोगों के ख़िलाफ़ कैसे एफआईआर दर्ज कर सकती है, गिरफ़्तार कर सकती है और दमन का रास्ता अपना सकती है जिन पर लॉकडाउन के उल्लंघन का आरोप है।

    उपरोक्त बातों को देखते हुए और पुलिस की ज्यादतियों को रोकने और पब्लिक अथॉरिटीज़ पर किसी भी तरह के बोझ को कम करने के लिए आईए अनुरोध करता है कि लॉकडाउन के उल्लंघन जैसे मामूली अपराधों के लिए परेशान करनेवाली कार्रवाई नहीं की जाए।



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