सुप्रीम कोर्ट में याचिका, COVID 19 से जुड़े मामलों मे धार्मिक और नस्लीय पहचान पर रोक लगाने की मांग

LiveLaw News Network

23 April 2020 11:54 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट में याचिका, COVID 19 से जुड़े मामलों मे धार्मिक और नस्लीय पहचान पर रोक लगाने की मांग

    सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में धार्मिक, नस्लीय और जातिगत पहचान के आधार पर कुछ समुदायों पर हो रहे हमले और कलंकित करने के कृत्यों पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने और इस संबंध में केंद्र सरकार से दिशा निर्देश जारी करवाने की मांग की गई है।

    आंचल सिंह, दिशा वाडेकर और मोहम्मद वसीम की ओर से दायर याचिका में तत्काल कदम उठाने की प्रार्थना की गई है, जिससे COVID 19 के संबंध में फैलाए जा रहे "सामाजिक कलंकों" पर रोक लगाने के लिए एडवाइजरी जारी की जा सके ताकि किसी नागरिक को पहचान के आधार पर भोजन, पानी, स्वास्‍थ्य सुविधाओं से वंचित न किया जा सके।

    याचिका में यह दलील दी गई है वायरस और बैक्टीरिया पहचान के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं जबकि समाज करता है। ऐसी कार्रवाइयों ने आबादी के कमजोर हिस्से को जोखिम में डाल दिया है।

    याचिका में कहा गया है,

    "समाज में मौजूद सामाजिक दरार COVID 19 महामारी जैसी संकटकालीन स्थ‌िति में और गहरी हो गई है। इससे धार्मिक, जाति और यौन अल्पसंख्यकों की पहले से ही कमजोर आबादी के लिए सामाजिक बहिष्कार का खतरा बढ़ गया है, जिसका नतीजा यह होगा कि स्वास्‍थ्य जैसे जरूरी सुविधाओं तक उनका पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।"

    याचिका में तबलीगी जमात के संबंध में फैलाई जा रही फेक न्यूज़ और घृणा संदेशों के विशिष्ट उदाहरणों की चर्चा की गई है, जिनमें तबलीगी जमात को "सुपर-स्प्रेडर्स" कहा गया है और मुस्लिम समुदाय के प्रति दुर्भावना को रेखांकित किया गया है।

    याचिकाकर्ता ने कहा,

    "मुस्लिम समुदाय को मुल्ला, तब्लीगिया, आतंकवादी, जैसे अपशब्द कहे जा रहे हैं, ..जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों के नागरिकों कोरोना वायरस कहा जा रहा है।" याचिकाकर्ता (ओं) ने सोशल डिस्टेंसिंग के बजाय फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का प्रयोग करने की प्रार्थना की है।

    आंचल सिंह, दिशा वाडेकर और मोहम्मद वसीम वकील होने के साथ-साथ याचिकाकर्ता भी हैं।

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