कंपनियों पर चीन को लौह अयस्क की तस्करी करने का आरोप- सीबीआई जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट मार्च में करेगा सुनवाई

Brij Nandan

18 Jan 2023 8:22 AM GMT

  • कंपनियों पर चीन को लौह अयस्क की तस्करी करने का आरोप- सीबीआई जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट मार्च में करेगा सुनवाई

    चीन को लौह अयस्क निर्यात करते समय 61 कंपनियों द्वारा कथित ड्यूटी चोरी की केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच की मांग करते हुए एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा और याचिकाकर्ता-इन-पर्सन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि 2020 के बाद से, लौह अयस्क निर्यातक 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क से बचने के लिए एक सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के लिए विशेष रूप से आरक्षित एक ड्यूटी-फ्री टैरिफ कोड का उपयोग कर रहे हैं।

    जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने मामले को मार्च के अंतिम सप्ताह में 'गैर-विविध' दिन पर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता ने वाणिज्य और वित्त मंत्रालय, सीमा शुल्क विभाग, और लौह अयस्क निर्यात करने वाली फर्मों पर हाथ मिलाने और कंपनियों को ड्यूटी फ्री उपयोग करने की अनुमति देकर लाखों टन लौह अयस्क की 'तस्करी' करने का आरोप लगाया है।

    हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) कोड केआईओसीएल लिमिटेड के लिए आरक्षित है, जो इस्पात मंत्रालय के स्वामित्व वाली एक सार्वजनिक कंपनी है। एचएस कोड दुनिया भर के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा निर्यात व्यापार उत्पादों को वर्गीकृत करने के लिए एक मानकीकृत संख्यात्मक पद्धति है। विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 के तहत, 'अन्य सभी प्रकार के लौह अयस्क' के निर्यात के लिए एक और एचएस कोड निर्धारित किया गया है, जो कि 30 प्रतिशत की दर से निर्यात शुल्क के भुगतान के अधीन है।

    याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि अन्य निर्यात फर्मों द्वारा केआईओसीएल के एचएस कोड के अवैध उपयोग से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का गंभीर नुकसान हुआ है।

    शर्मा ने कहा,

    "इस अदालत को तय करना है कि क्या ड्यूटी-फ्री एचएस कोड का उपयोग किसी अन्य कंपनी द्वारा किया जा सकता है।"

    याचिकाकर्ता के अनुसार, न केवल सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 और विदेश व्यापार अधिनियम का उल्लंघन किया गया है, बल्कि कंपनियों का आचरण भी धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों को आकर्षित करता है। इसलिए, केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा अदालत की निगरानी और समयबद्ध जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

    याचिकाकर्ता ने राज्य और उसके मैकेनिज्म की गैर-कार्रवाई को भी उजागर किया है, जिसके बारे में उसने दावा किया है कि उसने चीन को लौह अयस्क की तस्करी रोकने से इनकार कर दिया है।

    जनवरी 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में नोटिस जारी किया और केंद्रीय मंत्रालयों और ब्यूरो के साथ-साथ 61 निर्यात फर्मों से जवाब मांगा था।

    केस टाइटल

    मनोहर लाल शर्मा बनाम भारत सरकार व अन्य | रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 334 ऑफ 2020


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