नेशनल लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों का ध्यान रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
LiveLaw News Network
27 March 2020 9:41 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने जनहित याचिका दायर करके उन प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के प्रति न्यायालय का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है, जो देशव्यापी लॉकडाउन के कारण किलोमीटर दूर स्थित अपने पैतृक गाँवों की ओर पैदल चल पड़े हैं, जो संख्या में सैकड़ों हो सकते हैं।
देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के तुरंत बाद, 25 मार्च की आधी रात को असंगठित प्रवासी श्रमिकों की बड़ी संख्या को आय के किसी भी साधन के बिना छोड़ दिया गया। इनमें से कई श्रमिकों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ अपने पैतृक गांव जाने के लिए परिवहन के किसी भी साधन की अनुपस्थिति के कारण उनके पास अपने गांव पैदल जाने के प्रयास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
याचिका में कहा गया
"इस संकट की स्थिति के सबसे बड़े पीड़ित गरीब, अपंजीकृत प्रवासी श्रमिक हैं, जो भारत के विभिन्न बड़े शहरों में साइकिल-रिक्शा चालक, कारखाने के श्रमिक, घर में काम करने वाली नौकरानियां, नौकर, अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिक आदि के रूप में काम करते हैं।"
श्रमिकों और उनके परिवारों की दुर्दशा का मुद्दा उठाते हुए याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा, " वे या तो पैदल चल रहे हैं या देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यंत अमानवीय स्थिति में फंसे हुए हैं" जहां वे एक वैश्विक महामारी के प्रकोप के बीच भोजन, पानी, दवा, आश्रय और परिवहन के बिना हैं।"
इस बड़े पैमाने पर मानवीय पीड़ा को उजागर करते हुए याचिका में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि शीर्ष अदालत देश भर के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस थाना प्रभारियों को निर्देश दे ताकि वे अपने क्षेत्रों में पीड़ित प्रवासी श्रमिकों की तत्काल पहचान कर सकें और उन्हें तुरंत निकटतम चिकित्सा सुविधा (आश्रय गृह) में स्थानांतरित कर सकें। जहां लॉकडाउन के दौरान उनकी दैनिक अनिवार्यता को गरिमापूर्ण तरीके से ध्यान रखा जाए।
याचिका में कहा गया कि यद्यपि केंद्र और राज्य सरकारें शिकायतों के निवारण के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रही हैं, लेकिन अपने सफर में फंसे हुए प्रवासी श्रमिक ऐसी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।