सड़कों से घेराबंदी हटाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों को मनाने के प्रयास जारी : हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

27 Sep 2021 9:17 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, हरियाणा राज्य ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भले ही किसान सार्वजनिक स्थानों पर आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति से नहीं मिले लेकिन राज्यीय और राष्ट्रीय राजमार्गों पर घेराबंदी हटाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों को मनाने के लिए राज्य अपने प्रयास जारी रखेगा।

    "किसानों और किसान संगठनों को सहयोग करने के लिए राजी कर आम जनता की सुविधा के लिए अंतर्राज्यीय सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों से घेराबंदी हटाने और इन सड़कों पर यातायात को फिर से शुरू करने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर नियमित विचार-विमर्श किया जा रहा है और उन्हें घेराबंदी हटाने के लिए मनाने की कोशिश हो रही है क्योंकि इस तरह की घेराबंदी के कारण आम जनता को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, " हलफनामे में कहा गया है।

    दरअसल शीर्ष अदालत ने हरियाणा राज्य और केंद्र से समाधान खोजने को कहा था।

    कोर्ट ने टिप्पणी की थी, "समाधान भारत संघ और राज्य के हाथों में है। यदि विरोध प्रदर्शन जारी है, तो यातायात को किसी भी तरह से रोका ना जाए ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो।"

    राज्य ने यह भी कहा है कि निर्देशों के अनुपालन में 10 सितंबर, 2021 को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें हरियाणा राज्य, उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिवों और गृह सचिवों और इन सभी राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने भाग लिया था।

    हलफनामे में कहा गया है, 'बैठक में दिल्ली-हरियाणा सीमा के दोनों ओर अंतर्राज्यीय व राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलने के प्रयास करने पर विचार-विमर्श किया गया।'

    इसके अलावा, राज्य ने यह भी प्रस्तुत किया है कि संबंधित जिलों का प्रशासन भी आम जनता के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास कर रहा है और यातायात को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया जा रहा है।

    हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है, "अतीत में, जिला प्रशासन ने किसान/किसान संगठनों को ट्रैक्टर ट्रॉली और झोपड़ियों आदि सहित अपने वाहनों को इस तरह से लगाने के लिए राजी करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग / अंतर-राज्यीय सड़कों को अवरुद्ध न किया जा सके।"

    हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि इस संबंध में जिला प्रशासन ने भी 14 सितंबर, 2021 को किसान समूहों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें आम जनता को होने वाली असुविधा के बारे में अवगत कराया और उन्हें इस संबंध में 23 सितंबर 2021 को कोर्ट के आदेश से भी जागरूक किया गया।

    राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, "किसान समूहों के प्रतिनिधि ने अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करने का आश्वासन दिया और जिला प्रशासन और राज्य के अधिकारियों के साथ बातचीत में शामिल होने की इच्छा का संकेत दिया।"

    हरियाणा राज्य ने 15 सितंबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक के बाद एक राज्य स्तरीय समिति के गठन के बारे में शीर्ष न्यायालय को अवगत कराया, ताकि किसान संगठन के साथ चर्चा करके अंतर-राज्यीय सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों की नाकेबंदी के मुद्दे को हल किया जा सके। जिससे आम जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

    राज्य ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि इस समिति ने 19 सितंबर, 2021 को मुरथल, सोनीपत में संभागीय आयुक्त, रोहतक डिवीजन, पुलिस महानिरीक्षक, रोहतक रेंज, रोहतक, और जिला सोनीपत और जिला झज्जर के उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षक के साथ किसानों / किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए एक बैठक निर्धारित की ।

    राज्य ने कहा, "दुर्भाग्य से किसान/किसान संगठन राज्य स्तरीय समिति के साथ चर्चा के लिए आगे नहीं आए।" राज्य ने कहा कि हालांकि आसपास की औद्योगिक इकाइयों फैक्ट्रियों के प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया और समिति को उनके सामने आने वाली असंख्य कठिनाइयों के बारे में बताया।

    राज्य ने आगे कहा, "हालांकि, राज्य स्तरीय समिति किसानों / किसान संगठन को इस मुद्दे को हल करने के लिए चर्चा करने के लिए राजी करना जारी रखेगी।"

    जनहित याचिका नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने दायर की है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि अपनी मार्केटिंग नौकरी के लिए नोएडा से दिल्ली की यात्रा करना एक बुरा सपना बन गया है क्योंकि इसमें दो सप्ताह के लिए 20 मिनट के बजाय 2 घंटे लगते हैं।

    मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिस पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई नहीं की।

    केस : मोनिका अग्रवाल बनाम भारत संघ और अन्य| डब्ल्यूपी (सी) 249/ 2021

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