SARFAESI: बैंकों के दावों से पहले कर्मचारियों के दावे पर गौर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

7 Dec 2019 5:45 AM GMT

  • SARFAESI: बैंकों के दावों से पहले कर्मचारियों के दावे पर गौर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल केंद्रीय और राज्य कानूनों के तहत स्पष्ट रूप से बनाए गए वैधानिक प्रथम शुल्क, सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड इंफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट (SARFAESI) के तहत सिक्योर्ड लेनदारों के दावों पर पूर्ववर्ती स्थिति ले सकते हैं।

    मामला महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड बनाम बाबूलाल लाडे के मामले की सुनवाई से संबंधित है। अदालत के समक्ष मुद्दा यह था कि SARFAESI अधिनियम के तहत कारखाने के सुरक्षित परिसंपत्तियों की बिक्री से मिली राशि में से भुगतान के क्रम में कारखाना कर्मचारियों को पहले उनकी राशि चुकाई जाए या सिक्योर्ड ऋणदाताओं के दावे को निपटाया जाए।

    यह कहा गया कि कर्मचारियों की बकाया राशि का भुगतान अन्य भुगतान से पहले होना चाहिए क्योंकि अन्य दावे का भुगतान भूमि राजस्व से मिलने वाली बकाया राशि से हो सकते है।

    हालांकि, न्यायमूर्ति एम शांतनागौदर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र रिकग्निशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस एंड प्रिवेंशन ऑफ़ अनफेयर लेबर प्रैक्टिसेज एक्ट की धारा 50 के तहत जो रिकवरी प्रमाणपत्र जारी किये गए थे, उनके अनुसार कर्मचारियों की बकाया राशि भूमि राजस्व के बकाये के रूप में वसूली जा सकती है। इस तरह ऐसे कर्मचारियों का बकाया धारा 169(2) के तहत आएगा और सिर्फ अनसिक्योर्ड दावों से ही पहले उन पर गौर किया जा सकता है।

    इस सन्दर्भ में अदालत ने कहा,

    "जैसा कि इस अदालत ने सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया बनाम केरल राज्य (2009) 4 SCC 94 के मामले में कहा है, सिर्फ इस उद्देश्य से केंद्र और राज्य के कानूनों के तहत बनाए गए वैधानिक फर्स्ट चार्जेज पर ही SARFAESI अधिनयम के तहत सिक्योर्ड ऋणदाताओं के दावे से पहले गौर किया जा सकता है। यह केवल राजस्व की बकाया राशि के रूप में बकाये की वसूली के लिए पर्याप्त नहीं है। यह देखते हुए कि एमआरटीयू एंड पीयूएलपी अधिनियम के तहत कर्मचारियों के बकाये के भुगतान को 'फर्स्ट चार्ज' बनाने से चूक जाता है, यह नहीं कहा जा सकता कि इस दावे पर अपीलकर्ता-बैंक के दावे से पहले गौर किया जा सकता है जो कि सिक्योर्ड ऋणदाता हैं।"

    इस तरह, हम देखते हैं कि भूमि राजस्व कोड की योजना और एमआरटीयू एंड पीयूएलपी अधिनियम के तहत बैंकों के दावों से पहले कर्मचारियों के दावे पर गौर नहीं किया जा सकता।

    लेकिन पीठ ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि सिक्योर्ड परिसंपत्तियों को बेचने से मिली राशि में सिर्फ बैंक का हिस्सा है। SARFAESI अधिनयम के तहत ऐसा कुछ नहीं है कि बैंक, वित्तीय संस्थानों या अन्य सिक्योर्ड ऋणदाताओं को सिक्योर्ड परिसंपत्तियों को बेचने से मिली राशि से भुगतान में वरीयता दी जाएगी। अंततः पीठ ने कहा कि बैंक पर नीलाम की गई परिसंपत्ति से मिली राशि में से कर्मचारियों के बकाये का भुगतान करने की जिम्मेदारी है।


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