पूरे भारत में वकीलों को कोट/गाउन/रॉब पहनने की आवश्यकता नहीं, COVID 19 के मद्देनजर BCI ने लिया फैसला

LiveLaw News Network

14 May 2020 9:40 AM GMT

  • पूरे भारत में वकीलों को कोट/गाउन/रॉब पहनने की आवश्यकता नहीं, COVID 19 के मद्देनजर BCI ने लिया फैसला

    सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को जारी सर्कुलर के बाद गाउन और रॉब्स पहनने से वक़ीलों को ड्रेस कोड में छूट देने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने गुरुवार को एक प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए दोहराया है कि पूरे देश में अधिवक्ताओं के लिए यह आदेश समान है।

    पूरे देश में अधिवक्ताओं को गाउन और रॉब्स पहनने से ड्रेस कोड में छूट रहेगी।

    "देश के सभी अधिवक्ताओं की जानकारी के लिए यह अधिसूचित किया गया है (बार काउंसिल ऑफ इंडिया रेजोल्यूशन दिनांक 13.05.2020), कि मेडिकल सलाह और माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए परिपत्र दिनांक 13.05.2020 पर भी विचार करते हुए वर्तमान में अधिवक्ता "सादा सफेद शर्ट / सफेद सलवार कमीज / सफेद साड़ी के साथ बैंड" पहन सकते हैं।"

    -बीसीआई

    इसके अलावा, आदेश में कहा गया है कि जब तक "कोरोनो वायरस का खतरा बना रहता है", तब तक सभी उच्च न्यायालयों और अन्य न्यायालयों, ट्रिब्यूनल, कमीशन और अन्य सभी फोरम में पेश होने के कोई कोट या गाउन / रोब नहीं पहना जाएगा।

    कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती उपाय के रूप में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बेंच के समक्ष पेश होने वाले अधिवक्ताओं के सामने आने वाले ड्रेस कोड में ढील दी।

    सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी एक सर्कुलर के माध्यम से यह सूचित किया गया कि

    " सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वर्चुअल कोर्ट सिस्टम के माध्यम से तब तक जब तक मेडिकल परिस्तिथियाँ मौजूद हैं या अगले आदेशों तक सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सादा सफ़ेद शर्ट / सफेद-सलवार-कमीज / सफेद साड़ी, सादा सफेद बैंड के साथ पहन सकते हैं।"

    चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने बुधवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी किए जाएंगे कि वे ड्रेस कोड से गाउन और रोब को हटाएं।

    मुख्य न्यायाधीश ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि जजों, वकीलों को कुछ समय के लिए जैकेट और गाउन नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह "वायरस को पकड़ना आसान बनाता है।

    परिवर्तन के दौर से गुजर रही कानूनी दुनिया के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश का यह बयान कल जज के आवास के बजाय सुप्रीम कोर्ट परिसर में कोर्ट के बैठने के बाद आया है।

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