'कोई आरोप नहीं' : सुप्रीम कोर्ट ने महिला के अपहरण के सह आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा निरस्त किया

LiveLaw News Network

7 Feb 2021 2:12 PM GMT

  • कोई आरोप नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने महिला के अपहरण के सह आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा निरस्त किया

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला के अपहरण मामले के सह आरोपी के खिलाफ जारी आपराधिक मुकदमा निरस्त कर दिया। उस महिला ने कथित अपहरण की घटना के कुछ समय बाद मुख्य आरोपी से शादी कर ली थी। बाद में मुख्य आरोपी को अपहरण के आरोपों से बरी कर दिया गया था।

    इस मामले में लड़की की मां ने 2013 में एक शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि विक्रम रूप राय और विश्वास भंडारी ने उसकी बेटी को शादी के उद्देश्य से बहला फुसलाकर अगवा कर लिया था। बाद में लड़की ने विक्रम रूप राय के साथ शादी कर ली थी, जिसे ट्रायल कोर्ट ने इस आधार पर बरी कर दिया था कि घटना की तारीख को अगवा हुई लड़की की आयु 18 वर्ष से कम होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं पेश किया गया था। इस बीच सह आरोपी विश्वास भंडारी को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था और उसके खिलाफ कोई ट्रायल नहीं हुआ था, क्योंकि वह उस अवधि के दौरान फरार चल रहा था।

    विक्रम रूप राय के बरी हो जाने के बाद सह आरोपी विश्वास भंडारी ने प्राथमिकी निरस्त करने और उसके बाद की आपराधिक कार्यवाही समाप्त करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अपीलकर्ता विश्वास भंडारी की दलील थी कि लड़की के अगवा किये जाने के मामले में न तो पीड़िता ने और न ही शिकायतकर्ता (पीड़िता की मां) ने लेश मात्र आरोप लगाये थे। हालांकि हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

    अपील का निपटारा करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है और इस प्रकार प्राथमिकी के आधार पर उसके खिलाफ मुकदमा शुरू करना उचित नहीं होगा।

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट ने कहा,

    "हमने पाया है कि अगवा हुई लड़की और शिकायतकर्ता (लड़की की मां) की ओर से उपलब्ध कराये गये साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि अपीलकर्ता के खिलाफ कोई भी आरोप नहीं है। दरअसल मुख्य आरोप विक्रम रूप राय के खिलाफ था, लेकिन अगवा हुई लड़की ने चार अगस्त 2013 को राय से शादी कर ली थी और उनके दो बच्चे भी हुए। इस प्रकार अपीलकर्ता के खिलाफ कोई आरोप न होने की स्थिति में हम पाते हैं कि अपीलकर्ता के खिलाफ मुकदमा जारी रखना कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ और नहीं होगा।"

    केस का नाम : विश्वास भंडारी बनाम पंजाब सरकार [क्रिमिनल अपील नंबर 105 / 2021]

    कोरम : न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट

    साइटेशन : एलएल 2021 एससी 68

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