निर्भया केस : दोषियों को अलग- अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी को, केंद्र की दोषियों को नोटिस जारी करने की मांग ठुकराई

LiveLaw News Network

7 Feb 2020 7:57 AM GMT

  • निर्भया केस : दोषियों को अलग- अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी को, केंद्र की दोषियों को नोटिस जारी करने की मांग ठुकराई

    सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा सुनवाई

    निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 11 फरवरी को सुनवाई करेगा जिसमें दोषियों को अलग- अलग फांसी देने का अनुरोध किया है।

    हालांकि जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस अनुरोध को ठुकरा दिया जिसमें चारों दोषियों को नोटिस जारी करने को कहा गया था।

    सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अंततः कानून को तय होगा। राष्ट्र के धैर्य का अब तक पर्याप्त परीक्षण किया गया है।चार में से तीन दोषियों के लिए सभी उपचार समाप्त हो गए हैं। पवन गुप्ता ने किसी भी उपाय का लाभ उठाने के लिए नहीं चुना है।

    "क्या अधिकारियों को अनिश्चित काल तक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है? क्या मामलों की देरी के लिए फांसी में अनिश्चित अनिश्चितता पैदा की जा सकती है?" मेहता ने कहा।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने जवाब दिया. "किसी को भी कानूनी उपाय का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह उनको तय करना है।"

    न्यायमूर्ति आर बानुमति ने कहा, " दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें सभी संभव कानूनी उपायों का लाभ उठाने के लिए अब एक सप्ताह का समय दिया है।"

    मेहता ने निर्भया केस के दोषियों की प्रतिक्रिया मांगने के बाद इस मामले की सुनवाई की मांग की। मेहता ने कहा, '' उन्हें यहां आने दीजिए और वे बताएं कि वे क्या करने का प्रस्ताव रखते हैं।"

    लेकिन पीठ ने कहा कि 11 फरवरी को मामले की सुनवाई में तय करेंगे। हो सकता है कि तब तक सभी दोषियों के उपचार पूरे हो जाएं।

    सुप्रीम कोर्ट केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया था जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों के अलग- अलग फांसी देने से इनकार कर दिया था। केंद्र और दिल्ली सरकार ने बुधवार शाम को ही हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।

    दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषियों को अलग- अलग फांसी नहीं जी जा सकती। हाईकोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराते हुए निर्देश दिया कि दोषी अपने सारे विकल्प एक सप्ताह के भीतर आजमा लें। इसके बाद उनकी मौत की सजा के लिए कार्रवाई शुरू होगी।

    जस्टिस कैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक उनकी मौत की सजा एक आदेश से आई है

    इसलिए हमारी राय में अलग- अलग- अलग फांसी नहीं हो सकती।

    हालांकि पीठ ने दोषियों द्वारा खेले जा रहे सारे कानूनी दांव पेंचों पर नाराज़गी जताई और कहा कि वो जानबूझकर देरी कर रहे हैं और संविधान के अनुच्छेद 21 की आड़ ले रहे हैं।

    हाईकोर्ट ने रविवार को हुई विशेष सुनवाई के बाद केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के आदेश जारी किए थे।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, दोषी मुकेश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और तीन दोषियों अक्षय, विनय और पवन की ओर ये वकील एपी सिंह की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रखा था।

    इस दौरान SG तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया था कि दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जा सकती है और ये दोषी पूरी न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

    वहीं रेबेका जॉन और एपी सिंह ने विभिन्न मामलों का उदाहरण देते हुए कहा था कि इस तरह एक अपराध और एक फैसले के तहत अलग- अलग फांसी नहीं जा सकती।

    दरअसल शनिवार की शाम विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

    शनिवार शाम 5.30 बजे मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत के समक्ष दलील दी थी कि दोषी लगातार कानून से खेल रहे हैं और सारे सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है जबकि तीसरे दोषी अक्षय की दया याचिका लंबित है।

    तुषार ने कहा था कि अगर इसी तरह ये प्रक्रिया चलती रही तो ये केस कभी खत्म नहीं होगा। इसलिए दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जानी चाहिए। दोषी अदालत में मानव जीवन की बात करते हैं तो उस लड़की का क्या जिसकी जान ली गई है। पूरे देश को इंसाफ का इंतजार है। इन दलीलों के बाद पीठ ने नोटिस जारी किए और केस की सुनवाई रविवार तीन बजे निर्धारित की थी।

    दरअसल न्यायिक विभाग ने शुक्रवार के पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

    इस याचिका में कहा गया था कि शुक्रवार को निचली अदालत ने ये मानते हुए सभी चार दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी कि इन्हें अलग- अलग फांसी नहीं दी जा सकती। याचिका में कहा गया है कि ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है। ऐसे में अदालत का दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते सभी दोषियों की फांसी टालने का फैसला सही नहीं है। याचिका में इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।

    शुक्रवार को सभी दोषियों द्वारा सभी उपचार पूरे ना करने के चलते फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था। अदालत ने अभियोजन की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें विनय को छोड़कर बाकी तीन दोषियों को फांसी देने की मांग की गई थी।

    गौरतलब है कि पटियाला हाउस अदालत ने 17 जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा मुकेश की दया याचिका खारिज करने के बाद 22 जनवरी के लिए डेथ वारंट को रद्द कर 1 फरवरी की सुबह 6 बजे चारों दोषियों को फांसी देने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया था।

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