निर्भया मामला : दोषी विनय ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, मानसिक बीमारी का हवाला दिया

LiveLaw News Network

11 Feb 2020 11:30 AM GMT

  • निर्भया मामला : दोषी विनय ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, मानसिक बीमारी का हवाला दिया

    2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या केस में मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने मंगलवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा उनकी दया याचिका की अस्वीकृति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है

    गौरतलब है कि दोषियों को फांसी की सजा के खिलाफ कानूनी उपायों को समाप्त करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक सप्ताह के समय का मंगलवार को ही अंतिम दिन है।

    वकील ए पी सिंह के माध्यम से दायर याचिका में, विनय शर्मा ने दावा किया कि जेल में क्रूर और अमानवीय व्यवहार के कारण उसे " मानसिक आघात" का सामना करना पड़ा और जेल में यातना भी दी गई। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसे एकांत कारावास में रखा गया था जो मानदंडों का उल्लंघन करता है। कई मेडिकल रिकॉर्ड में कहा गया है कि शारीरिक चोट और यातना के कारण उसके शरीर पर चोटें आई थीं।

    शर्मा ने दावा किया कि अवसाद, चिंता और समायोजन विकारों के कारण वो मानसिक और व्यवहार संबंधी मुद्दों का सामना कर रहा है याचिका में " शत्रुघ्न चौहान" मामले में उच्चतम न्यायालय के 2014 के फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि मानसिक बीमारी के दोषियों को मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए।

    यह तर्क दिया गया है कि राष्ट्रपति ने बिना रिकॉर्ड के संबंधित सामग्री पर विचार किए सरसरी तौर पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया है कि ईपुरु सुधाकर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति का आदेश न्यायिक समीक्षा के अधीन भी है,

    दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी को एक अन्य दोषी मुकेश सिंह द्वारा दया याचिका की अस्वीकृति के खिलाफ दायर एक ऐसी ही रिट याचिका को खारिज कर दिया था।

    न्यायमूर्ति आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले में कहा था कि राष्ट्रपति के आदेश पर न्यायिक समीक्षा की एक सीमित गुंजाइश है और यह माना कि अस्वीकृति आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया था।

    17 जनवरी को पटियाला हाउस अदालत द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी थी

    इस आदेश को ट्रायल कोर्ट ने 31 जनवरी को इस आधार पर रोक दिया था कि सभी दोषियों ने अपने हर कानूनी उपाय को समाप्त नहीं किया है। दो दोषियों की दया याचिका तब लंबित थी। ट्रायल कोर्ट ने माना कि इन दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है क्योंकि उन्हें ही एक सामान्य आदेश द्वारा सजा सुनाई गई थी।

    हालांकि केंद्र ने इस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया। कोर्ट ने, हालांकि, दोषियों द्वारा अपनाई गई "देरी की रणनीति" को देखते हुए निर्देश दिया था कि उन्हें 5 फरवरी से शुरू होने वाले सात दिनों के भीतर अपने उपचार को समाप्त करना चाहिए।

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