निर्भया मामला : दोषी पवन की नाबालिग होने का दावा करने वाली क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
LiveLaw News Network
19 March 2020 11:54 AM IST
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में शुक्रवार की सुबह होने वाली फांसी से ठीक पहले दोषी पवन गुप्ता को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में 6 जजों ने चेंबर में विचार कर फैसला सुनाया है और कहा है कि याचिका में कोई आधार नहीं है। पीठ ने खुली अदालत में सुनवाई की मांग भी ठुकरा दी है। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने ये फैसला सुनाया है।
पवन ने सुप्रीम कोर्ट में घटना के समय नाबालिग होने का दावा करते हुए क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। इस मामले में चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया गया है।
इस मामले में चारों दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका खारिज हो चुकी हैं और उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजायाफ्ता पवन गुप्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने दावा किया था कि 2012 में जब ये घटना हुई तब वो नाबालिग था। इसके बाद उसकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया था।
जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि याचिका में कोई आधार नहीं मिला है। इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और जुलाई 2018 में पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है। इसलिए बार-बार इस मामले में याचिका को अनुमति नहीं दी जा सकती।
वहीं सुनवाई के दौरान पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा था कि 2017 का जिला अंबेडकरनगर के स्कूल का दस्तावेज बताता है कि पवन की जन्म तारीख 8 अक्तूबर 1996 है। दिल्ली पुलिस ने ये तथ्य जानबूझकर अदालत से छिपाया। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया। ये सब मीडिया और जनता के दबाव में हुआ।
वहीं पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि पुलिस ने जनवरी 2013 में आयु परीक्षण प्रमाण पत्र लगाया था और उसके मां- पिता ने भी इसकी पुष्टि की थी। दोषी ने कभी भी इस पर विवाद नहीं किया। बार- बार दोषी को याचिका दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पीठ ने भी कहा कि जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका में इस मुद्दे को खारिज कर दिया था। 2013 में ट्रायल कोर्ट और इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया था।
दरअसल निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा से बचने के लिए दोषी पवन गुप्ता ने खुद को नाबालिग बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दरअसल पवन गुप्ता का दावा था कि वारदात के वक्त वह नाबालिग था।
सुप्रीम कोर्ट के सामने पवन ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें वारदात के वक्त उसके नाबालिग होने की दलील को खारिज कर दिया गया था। दोषी ने अपनी याचिका में कहा कि 16 दिसंबर, 2012 को अपराध के वक्त वह नाबालिग था।
उसने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी लेकिन उसे राहत नहीं मिली और याचिका खारिज कर दी गई। पवन ने दलील दी कि उम्र का पता लगाने के लिए अधिकारियों ने उसकी हड्डियों की जांच नहीं की थी। उसने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि उसका मामला किशोर न्यायालय में चलाया जाए। पवन की 2012 में वारदात के वक्त नाबालिग होने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के जज सुरेश कुमार कैत ने खारिज कर दी थी।