निर्भया केस : अलग अलग फांसी देने की मांग ठुकराने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
LiveLaw News Network
5 Feb 2020 5:52 PM IST

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत संघ ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें हाईकोर्ट के 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले (निर्भया) के दोषियों की सज़ा अलग-अलग निष्पादित न करने के फैसले को चुनौती दी गई है।
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए दोषियों को अलग- अलग फांसी देने के मांग खारिज कर दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में चुनौती देने में तेजी से प्रतिक्रिया दी। हाईकोर्ट ने लगभग 2.35 बजे अपना फैसला सुनाया इसके बाद इस फैसले के खिलाफ 4.12 बजे एसएलपी दायर कर दी गई।
हाईकोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराते हुए बुधवार को निर्देश दिया कि दोषी अपने सारे विकल्प एक सप्ताह के भीतर आजमा लें। इसके बाद उनकी मौत की सजा के लिए कार्रवाई शुरू होगी।
जस्टिस कैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक उनकी मौत की सजा एक आदेश से आई है, इसलिए हमारी राय में अलग- अलग- अलग फांसी नहीं हो सकती। हालांकि पीठ ने दोषियों द्वारा खेले जा रहे सारे कानूनी दांव पेंचों पर नाराज़गी जताई और कहा कि वो जानबूझकर देरी कर रहे हैं और संविधान के अनुच्छेद 21 की आड़ ले रहे हैं। हाईकोर्ट ने रविवार को हुई विशेष सुनवाई के बाद केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के आदेश जारी किए थे।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, दोषी मुकेश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और तीन दोषियों अक्षय, विनय और पवन की ओर ये वकील एपी सिंह की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रखा था। इस दौरान SG तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया था कि दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जा सकती है और ये दोषी पूरी न्यायिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं रेबेका जॉन और एपी सिंह ने विभिन्न मामलों का उदाहरण देते हुए कहा था कि इस तरह एक अपराध और एक फैसले के तहत अलग- अलग फांसी नहीं जा सकती।
दरअसल शनिवार की शाम विशेष सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शनिवार शाम 5.30 बजे मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत के समक्ष दलील दी थी कि दोषी लगातार कानून से खेल रहे हैं और सारे सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है जबकि तीसरे दोषी अक्षय की दया याचिका लंबित है।
तुषार ने कहा था कि अगर इसी तरह ये प्रक्रिया चलती रही तो ये केस कभी खत्म नहीं होगा। इसलिए दोषियों को अलग- अलग फांसी दी जानी चाहिए। दोषी अदालत में मानव जीवन की बात करते हैं तो उस लड़की का क्या जिसकी जान ली गई है। पूरे देश को इंसाफ का इंतजार है। इन दलीलों के बाद पीठ ने नोटिस जारी किए और केस की सुनवाई रविवार तीन बजे निर्धारित की थी। दरअसल न्यायिक विभाग ने शुक्रवार के पटियाला हाउस कोर्ट के दोषियों की फांसी टालने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।