श्रमिकों की मौत का बहाना बनाकर, डेवलपर निर्माण में देरी को उचित नहीं ठहरा सकतेः एनसीडीआरसी

LiveLaw News Network

6 Jan 2020 12:46 PM IST

  • श्रमिकों की मौत का बहाना बनाकर, डेवलपर निर्माण में देरी को उचित नहीं ठहरा सकतेः एनसीडीआरसी

    राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कहा है कि एक डेवलपर निर्माण स्थल पर श्रमिकों की मौतों पर आवास परियोजना के पूरा होने में देरी को दोष देने के लिए जोर-जबरदस्ती का रोना नहीं रो सकता है, जबकि मौत सुरक्षा उपायों की कमी के कारण हुई है।

    एनसीडीआरसी के पीठासीन सदस्य वीके जैन ने कहा कि डेवलपर आवास परियोजना को पूरा करने में देरी को कवर करने के लिए अपनी परियोजना स्थल पर श्रमिकों की मौतों का लाभ नहीं उठा सकते हैं, जब मौतें उनकी खुद की लापरवाही का नतीजा रही हैं।

    आयोग ने डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड और डीएलएफ होम डेवलपर्स के खिलाफ कई शिकायतों की सुनवाई करते हुए ऐसा कहा। शिकायतें उन होमबॉयर्स ने दर्ज कराई थीं, जिन्होंने उत्तरी दिल्ली के मोती नगर में "डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स" नामक परियोजना में निवेश किया था।

    चूंकि अपार्टमेंट का कब्जा डेवलपर द्वारा होमबॉयर्स को दी गई समय अवधि के भीतर नहीं दिया गया था, कुछ व्यक्तिगत रूप से और कुछ कैपिटल ग्रीन्स फ्लैट बॉयर्स एसोसिएशन नामक एक सोसायटी के तहत एनएडआरसी से मुआवजे के सहित अपार्टमेंट का कब्जे दिलाने के लिए संपर्क किया था।

    डीएलएफ ने अपनी दलीलों में कहा कि देरी मुख्य रूप से इमारत की योजनाओं की मंजूरी में लगे असामान्य समय और दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण हुई है, जिसमें निर्माण पर काफी समय के लिए रोक लगा दिया गया था, ये दोनों ही परिस्थितियों को उनके नियंत्रण से बाहर थीं।

    हालांकि, जस्टिस जैन ने कहा, "औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य निदेशालय (श्रम विभाग), दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए निषेधाज्ञा पत्र 26.5.2014 के अवलोकन से पता चलता है कि परियोजना स्‍थन पर कम से कम छह से अधिक जानलेवा दुर्घटनाएं हुई हैं।

    श्रमिकों की मृत्यु 4 सितंबर 2011, 11अप्रैल 2012, 16 अगस्त 2012, 28 दिसंबर 2013, 16 जनवरी 2014 और 17 मई 2014 को हुई। 17 मई 2014 से पहले पांच लोगों की जान जाने के बावजूद सरकार द्वारा साइट पर काम बंद नहीं किया गया था। 17 मई 2014 को हुई एक जानलेवा दुर्घटना के बाद किए गए एक निरीक्षण में पता चला कि एक कर्मचारी टॉवर नंबर 14 पर पेंट लगाने के दौरान फिसल गया था और बाद में उसकी मौत हो गई।

    "उसी साइट पर अतीत में कई बार हुईं दुर्घटनाओं के मद्देनजर अधिकारियों ने कहा कि इमारत स्‍थल श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. यह भी कहा गया कि सरकार द्वारा जारी पूर्व निर्देशों और 3 अप्रैल 2014 को नेशनल सेफ्टी काउंसिल की ओर से अपनी सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट में दिए गए सुझाव के बावजूद, श्रमिकों की सुरक्षा के अपेक्षित उपाय नहीं किए गए थे। इसलिए सरकार को तब तक निर्माण कार्य रोकने के लिए बाध्य होना पड़ा, जब तक कि सभी सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याणकारी प्रावधान नहीं हो गए।"

    "यदि डेवलपर या कांट्रेक्टर ने इसके लिए आवश्यक उपाय किए होते और अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन किया होता और नेशनल सफ्टी काउंसिल द्वारा दिए गए सुझावों को लागू किया होता, तो 17 मई 2014 की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसमें छठे मजदूर की मौत हुई, वह नहीं हुई होती और साइट पर काम बंद नहीं हुआ होता। अगर सभी आवश्यक सुरक्षा सावधानियां बरती गईं होती तो ढाई साल की अवधि में एक ही जगह पर छह दुर्घटनाएं नहीं होतीं और उनमें छह जाने नहीं जातीं।

    "इसलिए मेरी राय में 26 मई 2014 के निषेधात्मक आदेश के आधार पर डेवलपर खुद की लापरवाही या कांट्रेक्टर की लापरवाही के लिए कोई फायदा नहीं उठा सकता है।

    एनसीडीआरसी ने डीएलएफ के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि आवंटियों ने कब्जे में देरी के कारण कोई नुकसान या क्षति नहीं साबित की है, जबकि अपार्टमेंट के मूल्य में पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है।

    जस्टिस जैन ने कहा, "मैं इस विवाद को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं कि कब्जे में देरी के कारण आवंटियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। अगर समय रहते अपार्टमेंट उन्हें मिल गया होता, तो वे मानसिक संतोष के अलावा वहां रह रहे होते।

    इसके अलावा, इस पर शायद ही विवाद हो कि एक अलॉटी को जिसने अपनी बचत या लोन से अपार्टमेंट खरीदा है, डेवलपर द्वारा कब्जे दिए जाने में देरी के कारण उसे मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न से गुजरता है और उसे अपनी मेहनत की कमाई के आनंद लेने के लिए डेवलपर के दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

    आयोग ने आदेश दिया कि डीएलएफ फ्लैट धारकों को कब्जे देने के लिए तय की गई तिथि से लेकर कब्जे देने की वास्तविक तिथ‌ि तक की अविध के लिए साधारण ब्याज के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर से भुगतान करेग। बाद के खरीदारों के मामले में, कब्जे के लिए अपेक्षित अवधि की गणना उनके द्वारा खरीद की तारीख से की जाएगी।

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