NEET UG 2021: एनटीए प्रश्नों के हिंदी अनुवाद में कथित त्रुटि की जांच के लिए सहमत हुई; सुप्रीम कोर्ट 30 नवंबर को सुनवाई करेगा

LiveLaw News Network

25 Nov 2021 8:48 AM GMT

  • NEET UG 2021: एनटीए प्रश्नों के हिंदी अनुवाद में कथित त्रुटि की जांच के लिए सहमत हुई; सुप्रीम कोर्ट 30 नवंबर को सुनवाई करेगा

    NEET-UG 2021 में फिजिक्स के एक प्रश्न के हिंद अनुवाद में कथित त्रुटि की जांच के लिए नेशनल टोस्टिंग एजेंसी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए सहमत हुई।

    एनटीए की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि प्रश्न का मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा फिर से किया जाएगा।

    एसजी ने आगे कहा कि एक हलफनामा दायर किया जाएगा जो विशेषज्ञ पैनल द्वारा प्राप्त परिणाम को दर्शाएगा।

    पीठ ने सुनवाई अगले मंगलवार, 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

    नीट उम्मीदवारों द्वारा खंड ए (भौतिकी) के प्रश्न संख्या 2 में "विसंगति और पेटेंट त्रुटि" को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करते समय, "एम्पिलिटूड ऑफ करंट" शब्द को हटा दिया गया।

    सॉलिसिटर जनरल ने गुरुवार को पीठ को सूचित किया कि इस मुद्दे की तीन तटस्थ विशेषज्ञों द्वारा जांच की गई, जिन्होंने कहा कि कथित विसंगति के बावजूद उत्तर समान है।

    सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्तुत किया,

    "हमने तीनों तटस्थ विशेषज्ञों की मदद से जांच कराई, जिनमें एक केवल हिंदी जानने वाला, एक केवल अंग्रेजी जानने वाला और एक दोनों जानने वाले शामिल थे। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, उत्तर समान ही होगा। हमारे कर्मियों का कहना है कि उत्तर इसके बावजूद भी समान आ रहा है।"

    एसजी ने संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट मामले में भी मिसाल का हवाला दिया, जहां कोर्ट ने कहा कि किसी भी अस्पष्टता के मामले में एनईईटी के लिए अंग्रेजी में प्रश्न की भाषा मान्य होगी।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने प्रस्तुत किया कि हिंदी संस्करण में "एम्पिलिटूड" के लिए शब्द नहीं था और इस वजह से हिंदी प्रश्न के लिए एक और उत्तर सही है।

    उन्होंने कहा कि एनईईटी-यूजी परीक्षा देने वाले 15 लाख छात्रों में से 2 लाख छात्रों ने हिंदी का पेपर चुने थे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गलत विकल्पों के लिए नकारात्मक अंकन है।

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर से कहा,

    "यहां एसजी का तर्क है कि दोनों संस्करण सही हैं क्योंकि दो अलग-अलग उत्तर हैं।"

    पीठ ने पूछा कि क्या तीन अन्य विशेषज्ञों के पैनल द्वारा इस मुद्दे की फिर से जांच की जा सकती है। एसजी ने इस सुझाव पर सहमति जताई।

    बेंच ने आदेश दिया,

    "सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया है कि हिंदी में NEET UG 2021 के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों की आशंकाओं को दूर करने के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों के समाधान भौतिकी के प्रश्नपत्र (कोड बी 2) में प्रश्न संख्या दो का मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा फिर से किया जाएगा। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद यह प्रस्तुत किया गया है कि इस अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया जाएगा जिसमें मूल्यांकन के परिणाम को निर्धारित किया जाएगा।"

    याचिका

    उक्त चूक के कारण हिंदी अनुवाद के आधार पर प्रश्न का प्रयास करने वाले उम्मीदवारों ने अंग्रेजी प्रश्न के आधार पर प्रश्न का प्रयास करने वाले उम्मीदवारों की तुलना में एक अलग उत्तर प्राप्त किया।

    एनईईटी यूजी 2021 में बैठने होने वाले युवा इच्छुक डॉक्टरों ने तर्क दिया कि उक्त बहुविकल्पीय प्रश्नों के विकल्प के रूप में गलत और सही दोनों उत्तर दिए गए थे।

    इस संबंध में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ("प्रतिवादी संख्या 1") को निर्देश जारी करने के लिए राहत मांगी गई कि नीट यूजी के अन्य सेटों में कोड पी 2 और उसके संबंधित प्रश्नों के खंड ए (भौतिकी) के प्रश्न 2 को हटा दिया जाए और नए परिणाम जारी करें।

    याचिकाकर्ताओं ने NEET UG 2021 को गलत, दोषपूर्ण और भेदभावपूर्ण और भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के उल्लंघन के रूप में घोषित करने की भी मांग की गई।

    याचिका में कहा गया है,

    "एनटीए ने उक्त त्रुटि का संज्ञान लिए बिना केवल प्रश्न के अंग्रेजी अनुवाद के आधार पर एक उत्तर कुंजी जारी की, जिससे हिंदी भाषी उम्मीदवारों को उनके अंग्रेजी बोलने वाले समकक्षों की तुलना में नुकसान हुआ है। उक्त असमानता प्रश्नों के केवल अंग्रेजी संस्करण को अंतिम मानने के लिए एनटीए के अभ्यास पर आधारित था। प्रश्न पत्र में उक्त प्रभाव के लिए एक निर्देश दिया गया था कि किसी भी प्रश्न के अनुवाद में किसी भी अस्पष्टता के मामले में, अंग्रेजी संस्करण को अंतिम माना जाएगा। हालांकि, विवादित प्रश्न में कोई अस्पष्टता नहीं है और वह एक त्रुटि है, क्योंकि अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण दोनों अलग-अलग प्रश्न थे, जिनके अलग-अलग उत्तर दिए गए थे।"

    याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि प्रश्न का हिंदी और अंग्रेजी संस्करण अपने आप में पूर्ण स्वसंपूर्ण प्रश्न था, जिसके कारण हिंदी भाषी उम्मीदवारों को यह विश्वास हो गया कि विवादित प्रश्न बिना किसी अस्पष्टता के है और इसे इसके संदर्भ के बिना हल नहीं किया जा सकता है।

    आगे तर्क दिया गया कि उस प्रश्न के 4 अंक है और एक गलत उत्तर वास्तव में 5 अंकों का नुकसान है क्योंकि एनईईटी में नकारात्मक अंकन होता है।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया,

    "इसलिए उक्त प्रश्न में विसंगति ने हिंदी भाषी छात्रों / राज्यों को एक नुकसानदेह स्थिति में डाल दिया है और उन्हें हजारों साल पीछे धकेल दिया है और उनके भविष्य को खतरे में डाल दिया है।"

    याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अर्चना पाठक दवे के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट कुमार प्रशांत और एडवोकेट मनीष शर्मा द्वारा मसौदा तैयार किया गया है।

    केस का शीर्षक: वाजिदा तबस्सुम एंड अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी एंड अन्य

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