NEET-PG: सुप्रीम कोर्ट ने एक उम्मीदवार को मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने पर जोर दिए बिना 2022-23 काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति दी

Brij Nandan

25 Oct 2022 2:53 AM GMT

  • NEET-PG: सुप्रीम कोर्ट ने एक उम्मीदवार को मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने पर जोर दिए बिना 2022-23 काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपाल के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में अपनी सीट छोड़ने और NEET-PG 2022-23 के दूसरे राउंस की काउंसलिंग में भाग लेने की इच्छा रखने वाली एक मेडिकल छात्रा द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।

    पिछले साल उसने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में कॉलेज में एडमिशन लिया था और इस साल वह एनईईटी-पीजी 2022-23 में शामिल हुई। कॉलेज के अधिकारी उसके मूल दस्तावेजों को जारी करने के लिए एडमिशन के समय प्रस्तुत बांड के संदर्भ में, तीन साल के पाठ्यक्रम में शेष दो वर्षों के शेष शिक्षण शुल्क के भुगतान की मांग कर रहे हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "नोटिस जारी किया जाता है। जवाब 25.11.2022 तक दिया जाए।"

    मामले को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की पीठ ने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी और अन्य प्रतिवादियों से याचिकाकर्ता को 26.10.2022 से 30.10.2022 तक निर्धारित एनईईटी-पीजी काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति देने के लिए कहा।

    आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता दूसरे दौर की काउंसलिंग में उत्तीर्ण होती है तो उसे मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने पर जोर दिए बिना शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दीपक प्रकाश ने बेंच को अवगत कराया कि वह शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए NEET-PG परीक्षा में उपस्थित हुई और उसने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में MS (Oto-Rhino- Laryngology) में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में एडमिशन लिया।

    हालांकि, उन्होंने प्रस्तुत किया कि चूंकि याचिकाकर्ता किसी अन्य विषय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक थी; वह फिर से शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए NEET-PG परीक्षा में शामिल हुई। वह योग्य है और दूसरी काउंसलिंग में शामिल होना चाहती है, जो 26.10.2022 से 30.10.2022 तक होनी है।

    याचिकाकर्ता आशंकित है कि अगर उसे दूसरे दौर की काउंसलिंग में सीट आवंटित की जाती है, तो उसे अपने मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जो वर्तमान में कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल के पास है। कॉलेज शेष दो वर्ष (3 वर्षीय पाठ्यक्रम) की शेष टयूशन फीस की मांग कर रहा है। इसलिए, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    [केस टाइटल: अमरीक मलिक बनाम एमसीसी एंड अन्य। डब्ल्यूपी (सी) संख्या 944/2022]

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