NEERI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ग्रीन पटाखों का उत्पादन संभव, कोर्ट ने बेरियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर केंद्र से मांगा जवाब

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6 March 2019 3:45 AM GMT

  • NEERI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ग्रीन पटाखों का उत्पादन संभव, कोर्ट ने बेरियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर केंद्र से मांगा जवाब

    राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि पटाखा निर्माताओं के लिए पर्यावरण और वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 'ग्रीन पटाखों' का उत्पादन संभव है।

    न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने पटाखा निर्माताओं के परामर्श से 2 वैज्ञानिक निकायों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने के बाद केंद्र और याचिकाकर्ता को 1 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दायर करने के लिए कहा और इस मामले को 12 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ग्रीन पटाखे बनाने के लिए बेरियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट जैसे पारंपरिक कैमिकल की कम मात्रा के साथ कुछ अतिरिक्त योजक जोड़कर ग्रीन पटाखे बनाए जा सकते हैं।

    वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायन ने बेरियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पूर्व में केंद्र ने कहा था कि इन रसायनों का इस्तेमाल नहीं होगा। ऐसे में केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अपनी राय दे।

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्तूबर 2018 को देश भर में दिवाली के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कई दिशा निर्देश भी जारी किए थे और पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी थी।

    जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने ये फैसला सुनाते हुए केंद्र के हलफनामे को मंजूर करते हुए कहा था कि कम शोर और प्रदूषण वाले एवं सुधार वाली क्वॉलिटी के पटाखों की बिक्री व निर्माण हो जिनमे राख और धूल 20 फीसदी तक कम हो। इनका मानक PESO की विशेषज्ञ टीम तय करेगी ताकि पटाखों में चारकोल और बारूदी रसायन की मात्रा को पैरोटेक्नीक से तय करने के बाद ही मंज़ूरी दी जाएगी। इसके साथ ही ग्रीन फायर क्रेकर्स का इस्तेमाल किया जाए जो कम धुआं दें।

    साथ ही कम धुंआ और आवाज वाले ऐसे पटाखे और आतिशबाज़ी जिनसे 30-35 फीसदी पीएम (पार्टिक्युलेट मैटर) कम उत्सर्जित होता है। इनमें खतरनाक रसायन NOx और SO2 कम होता है। पीठ ने कहा कि दिल्ली और NCR में जो पटाखे बनाए जा चुके हैं और शर्तों के मुताबिक नहीं हैं उन्हें बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी अदालत ने पटाखों के निर्माण और बिक्री पर रोक पर विचार नहीं किया है और इसके लिए उन्हें व्यापक रिसर्च और शोध का इंतजार है। जब ये रिपोर्ट आ जाएंगी तो अदालत द्वारा और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

    वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली, अन्य त्योहारों व शादियों के लिए देशभर में रात को 8-10 तक ही पटाखे चलाने का निर्देश दिया। हालांकि क्रिसमिस और नए साल पर 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे चलाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए और कहा कि जहां तक संभव हो दिल्ली NCR में सामुदायिक तौर पर पटाखे चलाए जाएं और सीपीसीबी एक हफ्ते में ऐसे इलाकों की पहचान करेगा। सिर्फ लाइसेंस वाले विक्रेता ही पटाखे बेचे सकेंगे। ऑनलाइन पटाखें की बिक्री पर रोक है और ये अवमानना का मामला होगा। पीठ ने कहा कि अगर कहीं भी अदालत के आदेशों का उल्लंघन होता है तो SHO पर अवमानना का मामला चल सकता है और वो निजी तौर पर जिम्मेदार होगा।

    28 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, तमिलनाडु सरकार, पटाखा निर्माताओं और याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील पूरी होने के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि कुछ विशिष्ट शर्तों के साथ पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी जा सकती है।

    अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ए. एन. एस. नाडकर्णी ने जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष इस संबंध में दलीलें पेश की थीं। उन्होंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के परामर्श से दायर केंद्र के हलफनामे को अदालत में पेश किया था।

    इसके तहत केंद्र ने कम उत्सर्जन वाले पटाखों के उपयोग का सुझाव दिया जिनमें 15 से 20 प्रतिशत तक राख के कण कम हों। यह कहा गया कि PESO यह सुनिश्चित करेगा कि केवल उन पटाखों को, जिनके डेसिबल स्तर तय सीमा के भीतर हैं, बाजार में बेचने की अनुमति हो और उल्लंघन होने पर निर्माताओं के लाइसेंस को निलंबित करके कार्रवाई की जाए। इसमें यह कहा गया कि जुड़े हुए यानी सीरीज पटाखों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है क्योंकि इनसे भारी हवा, शोर और ठोस अपशिष्ट समस्याएं होती हैं।

    प्रमुख भारतीय शहर कुछ देशों में अपनाए गए सख्त समय प्रतिबंध के साथ सामुदायिक पटाखे चलाने का विकल्प तलाश सकते हैं। इसके साथ ही अन्य प्रतिबंधों का पता लगाया जा सकता है जैसे पटाखों की अनुमति केवल उन क्षेत्रों/फील्ड में ही दी जा सकती है जो पहले से चिन्हित हों और संबंधित राज्य सरकार द्वारा पूर्व-निर्धारित किए गए हों।

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