NDPS ACT- यदि धारा 50 के उल्लंघन से व्यक्तिगत तलाशी रद्द हो जाती है तो की गई जब्ती भी नष्ट हो जाएगी: सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
31 Jan 2022 3:19 PM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले हफ्ते पारित एक आदेश में एक व्याख्या को खारिज किया कि यदि एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) की धारा 50 के उल्लंघन से व्यक्तिगत तलाशी रद्द हो जाती है, तो की गई जब्ती भी नष्ट हो जाएगी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 (बी) (ii)(सी) के तहत दोषी ठहराए गए आरोपी द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा,
"हम इस तरह का विस्तृत दृष्टिकोण नहीं दे सकते हैं।"
आरोपी को हरे रंग की पॉलीथिन की थैली में लकड़ी के कांवड़ पर भासाबेड़ा से पिथापुर गांजा ले जाते हुए पाया गया।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में आरोपी ने राजस्थान राज्य बनाम परमानंद एंड अन्य (2014) 5 एससीसी 345 और पंजाब राज्य बनाम बलदेव सिंह 1999 (6) एससीसी 172 पर भरोसा किया।
इन निर्णयों में यह माना गया है कि यदि किसी अधिकार प्राप्त अधिकारी द्वारा पूर्व सूचना पर व्यक्ति को सूचित यह किए बिना सर्च की जाती है कि उसका अधिकार है कि उसे तलाशी के लिए किसी राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाया जाए और यदि वह ऐसा करने का विकल्प चुनता है, तो तदनुसार उसकी तलाशी लेने में विफल रहने से अवैध वस्तु की बरामदगी संदिग्ध हो जाएगी। इसके साथ ही उसके पास से बरामद अवैध वस्तुओं के कब्जे के आधार पर दोषसिद्धि और दी गई सजा को नष्ट हो जाएगी।
अदालत ने कहा कि तीसरा विकल्प आरोपी को दिया गया है कि वह खुद को संबंधित अधिकारी से तलाशी लेने की अनुमति दे, जो क़ानून का हिस्सा नहीं है, उसे अपीलकर्ता को पेश नहीं किया जा सकता और इस तरह की गई तलाशी किसी काम का नहीं रह जाएगा।
अदालत ने देखा कि बरामदगी एक पॉलीथिन बैग में थी, जिसे एक कांवड़ पर ले जाया जा रहा था और व्यक्तिगत रूप से नहीं।
अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा,
"वकील यह तर्क देकर की गई टिप्पणियों के दायरे का विस्तार करना चाहते हैं कि यदि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के उल्लंघन से व्यक्तिगत तलाशी को निरस्त किया जाता है, तो अन्यथा की गई जब्ती भी नष्ट हो जाएगी और इस प्रकार, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इस तरह का विस्तृत दृष्टिकोण नहीं दे सकता जैसा कि अपीलकर्ता के वकील द्वारा तर्क देने की मांग की गई है।"
पंजाब राज्य बनाम बलजिंदर सिंह में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा था कि जहां तक आरोपी की "व्यक्तिगत तलाशी" का संबंध है, सिर्फ इसलिए कि धारा 50 का पालन न करने के कारण वाहन की तलाशी से जब्ती के प्रभाव को अमान्य करने के लिए कोई लाभ नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एक और तीन जजों की बेंच ने राजू @ अब्दुल हक @ जग्गा मामले में कहा था कि जैसे ही किसी व्यक्ति की तलाशी होती है, धारा 50 के अनिवार्य अनुपालन की आवश्यकता को आकर्षित किया जाता है, भले ही व्यक्ति के पास से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया हो या नहीं।
केस का नाम: दयालू कश्यप बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एससी) 100
मामला संख्या/तारीख: CrA 130 of 2022 | 25 जनवरी 2022
कोरम: जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश
वकील: अपीलकर्ता के लिए अधिवक्ता देवांश ए मोहता, प्रतिवादियों के लिए एओआर सुमीर सोढ़ी, अधिवक्ता गौरव