NCP नेता धनंजय मुंडे को सुप्रीम कोर्ट से राहत, बॉम्बे हाईकोर्ट के FIR दर्ज करने के फैसले पर रोक
Live Law Hindi
15 Jun 2019 6:25 PM IST
महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गयी है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सूर्य कांत की अवकाश पीठ ने शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है।
हालांकि मुंडे के खिलाफ शुक्रवार को ही FIR दर्ज हुई है इसलिए अब उनके खिलाफ कोई जांच या उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी।
दरअसल मुंडे ने उच्चतम न्यायालय में हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें जमीन के मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने 10 जून को मुंडे के खिलाफ जमीन खरीद के एक मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। राजाभाऊ फड द्वारा दाखिल याचिका पर पीठ ने यह फैसला सुनाया।
पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर जमीन खरीदने का आरोप
दरअसल यह जमीन अंबोजागाई तहसील के पूस स्थित बेलखंडी देवस्थान पर है। यह सरकारी जमीन बेलखंडी मठ को गिफ्ट के तौर पर दी गई थी। आरोप यह है कि यह जमीन धनंजय मुंडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर सहकारी चीनी कारखाने के लिए खरीदी थी। आरोप यह है कि यह जमीन कृषि योग्य थी लेकिन दस्तावेजों में इसे अकृषि योग्य भूमि करार दिया गया और जमीन के मामूली दाम लगाए गए।
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक उपहार में मिली किसी भी जमीन की खरीद- बिक्री नहीं की जा सकती लेकिन इस प्रकरण में दबाव तंत्र का इस्तेमाल किया गया। मुंडे ने वर्ष 1991 में जगमित्र शुगर फैक्ट्री के लिए 24 एकड़ जमीन खरीदी थी। गैर कानूनी तरीके से हुए इस सौदे के विरोध में राजाभाउ फड ने पहले पुलिस थाने में शिकायत की। जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने अदालत की शरण ली।
मुंडे के वकील द्वारा पेश की गई दलील
वहीं मुंडे के वकील सिद्धेश्वर ठोंबरे ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जिस वक्त इस भूमि का सौदा हुआ उस वक्त इसके अधिकार देशमुख के पास थे। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि यह कृषि योग्य जमीन है। उनके वकील ठोंबरे ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक मोड़ देने के लिए षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया।