फंसे हुए प्रवासियों के लिए राष्ट्रव्यापी योजना की आवश्यकता : कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया
LiveLaw News Network
27 May 2020 7:20 PM IST

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप एस. सुरजेवाला ने बुधवार को उस स्वतःसंज्ञान रिट याचिका नंबर 6/2020 में हस्तक्षेप आवेदन (आईए) दायर किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने COVID19 महामारी के कारण हुए राष्टव्यापी लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों पर संज्ञान लिया था।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक दिन पहले ही अखबारों की खबरों और मीडिया रिपोर्टों में उजागर की गई प्रवासी कामगारों की दयनीय स्थिति पर संज्ञान लेने का फैसला लिया था।
इन खबरों में प्रवासी मजदूरों की दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थिति को लगातार दिखाया जा रहा है,जो लंबी दूरी पैदल चलकर व साइकिल के सहारे पूरी कर रहे हैं, जिसके बाद यह आवेदन दायर कर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सुनील फर्नांडिस ने सुरजेवाला की ओर से यह हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि
''आवेदक ने देश भर में काम कर रहे आईएनसी के वर्करों से प्राप्त कई जमीनी रिपोर्टों का अध्ययन किया है और इसके बाद भारत सरकार को कई उपाय सुझाए भी हैं, जो COVID19 महामारी से जुड़ी आर्थिक और स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के संबंध में हैं। वास्तव में कई अवसरों पर आवेदक ने राष्ट्रव्यापी बंद के कारण पूरे देश में फंसे प्रवासी श्रमिकों की वर्तमान दुर्दशा को दूर करने के लिए भारत सरकार को विशिष्ट उपाय भी सुझाए हैं।''
हस्तक्षेप आवेदन में उठाया गया प्राथमिक मुद्दा यह है कि भारत की संसद मार्च 2020 से कोई भी सत्र आयोजित नहीं कर पाई है, जिसके परिणामस्वरूप आवेदक और उनकी पार्टी, कांग्रेस प्रवासी मजदूरों के कष्टों के संबंध में मुद्दों को उठाने में असमर्थ रही है। इसके अतिरिक्त, प्रवासी श्रमिकों को पीड़ाओं को दूर करने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने में भी भारत सरकार सरकार विफल रही है।
इस कारण उन उपायों पर विचार ही नहीं हो पाया है जो आवेदक द्वारा सुझाए गए थे या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दिए गए सुझाव थे, जो सत्तारूढ़ पार्टी से संबंधित नहीं है।
''इसलिए उपरोक्त तथ्यों व फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का तत्काल निवारण करने की आवश्यकता को देखते हुए, आवेदक फंसे हुए प्रवासियों की मदद करने के उपायों के संबंध में इस माननीय न्यायालय से संपर्क करने के लिए विवश है।''
इसके अलावा आईए के माध्यम से आवेदक फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को दूर करने के लिए कुछ विशिष्ट उपाय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहता है, जिनको सरकार इन मजदूरों की परेशानियों को खत्म करने के लिए अपना सकती है, जो इस प्रकार हैं-
1. प्रवासी भारतीय मजदूरों की कुल संख्या की सही तरीके से पहचान करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्य योजना बनाई जाए। इन सूचियों की तैयार के लिए जिला और ग्राम स्तर पर काम किए जाने की आवश्यकता है।
2. हर जिला और ग्राम स्तर पर स्वागत केंद्रों और सुविधा केंद्रों की स्थापना की जाए। जो मजदूरों की सहायता कर सकें और और उनको उनके मूल जिलों/ गांवों में आगे की यात्रा की सुविधा प्रदान कर सकें।
3. मजदूरों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर एक राष्ट्रव्यापी कार्य योजना तैयार की जाए। ताकि यात्रा के दौरान उनको आने वाली कठिनाईयों को कम किया जा सकें।
4. फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को पर्याप्त भोजन, दवा और आश्रय प्रदान करने के लिए एक योजना का गठन किया जाए।
5.तात्कालिक के आधार पर वित्तीय राहत को लागू किया जाए। वही इस राहत की समय-सीमा और इसको जारी करने की चरणबद्ध प्रक्रिया की सार्वजनिक घोषणा की जाए। जिसे आम जनता और प्रवासियों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
6. प्रवासी मजदूरों को लाभकारी रोजगार प्रदान करने के लिए तत्काल योजनाओं का निर्माण किया जाए। इसके अतिरिक्त विशिष्ट योजनाएं बनाई जाएं, जो प्रवासी मजदूरों के बच्चों की शिक्षा और उनके परिवार के सदस्यों की सामान्य भलाई का ध्यान रख सकें।
7. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा और संघर्ष को कम करने के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे सभी लाभों के बारे में जागरूकता प्रदान करने के लिए तत्काल अभियान की शुरूआत की जाए।
मंगलवार को "IN RE: प्रॉब्लम्स एंड मिस्ट्रीज़ ऑफ़ माइग्रेंट लेबर" शीर्षक के आदेश में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि भले ही इस मुद्दे को राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर संबोधित किया जा रहा हो, लेकिन प्रभावी और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है। "
उपरोक्त के प्रकाश में, शीर्ष न्यायालय ने भारत सरकार के साथ-साथ सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने जवाब प्रस्तुत करने और मुद्दे की तात्कालिकता पर ध्यान देने के लिए नोटिस जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने याचिका पर 28 मई, 2020 को मामले की सुनवाई होगी और इस संबंध में सॉलिसिटर जनरल की सहायता मांगी गई है।