ताजमहल के पास खड्डों के विनाश और खनन का आरोप लगाने वाले मामले में UP Govt ने NGT के समक्ष हलफनामा दायर किया

Amir Ahmad

27 Feb 2025 2:04 PM IST

  • ताजमहल के पास खड्डों के विनाश और खनन का आरोप लगाने वाले मामले में UP Govt ने NGT के समक्ष हलफनामा दायर किया

    उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि उसने ताजमहल के आसपास के क्षेत्रों में खड्डों के विनाश और बड़े पैमाने पर खनन तथा यमुना नदी के बाढ़ के मैदानी क्षेत्र को प्रतिबंधित करने के आरोप लगाने वाले मामले के संबंध में राज्य के 17 जिलों को बाढ़ के मैदानी क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया।

    डॉ. शरद गुप्ता (आवेदक) द्वारा दायर पत्र याचिका में वन खड्डों के विनाश के बारे में शिकायतें उठाई गईं, जो 1000 से अधिक प्रजातियों के जानवरों और पौधों के लिए प्राकृतिक आवास के रूप में काम करते हैं। पत्र में कहा गया कि समाचार पत्रों की रिपोर्टों के अनुसार खड्डों के विनाश से पारिस्थितिकी तंत्र की तबाही होगी। ताजमहल को नुकसान पहुंचेगा। साथ ही आगरा में यमुना नदी के बाढ़ के मैदानी क्षेत्र को भी प्रतिबंधित किया जाएगा।

    NGT ने आरोपों की तथ्यात्मक स्थिति की पुष्टि करने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, लखनऊ स्थित पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय, ताज ट्रैपजियम जोन प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आगरा के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधियों की संयुक्त समिति गठित की। संयुक्त समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि समिति के सदस्यों ने उक्त क्षेत्र का निरीक्षण किया और प्रभागीय वनाधिकारी आगरा से चर्चा करने पर बताया गया कि ताज वन खंड में बड़े पैमाने पर खनन नहीं किया गया और बीहड़ों को नष्ट नहीं किया गया।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दौरे के दौरान सिंचाई विभाग के अधिशासी इंजीनियर ने बताया कि ताजमहल के पीछे बाढ़ के मैदान क्षेत्र का सीमांकन अभी तक नहीं किया गया। संयुक्त समिति की रिपोर्ट के अनुसरण में एनजीटी ने केंद्रीय जल आयोग (CWC) को चार महीने के भीतर यमुना नदी के लिए बाढ़ के मैदान सीमांकन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। आदेश के मद्देनजर CWC ने बाढ़ के मैदान क्षेत्र के सीमांकन/पहचान के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत जवाब दाखिल किया। NGT ने उत्तर प्रदेश राज्य को सीमांकन रिपोर्ट प्राप्त होने के तीन सप्ताह के भीतर आवश्यक अधिसूचना जारी करने को कहा।

    उत्तर प्रदेश राज्य के वकील ने कहा कि सीडब्ल्यूसी द्वारा गठित समिति से बाढ़ क्षेत्र की पहचान के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त होने की तिथि से दो सप्ताह के भीतर सिंचाई विभाग आवश्यक अधिसूचना जारी करेगा। इस कथन के आधार पर न्यायालय ने आवेदन का निपटारा कर दिया।

    NGT के आदेश के मद्देनजर उत्तर प्रदेश राज्य ने अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र के निर्देशांक के संबंध में CWC की फाइनल रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद सिंचाई विभाग ने असगरपुर से इटावा और शाहपुर से प्रयागराज के बीच आने वाले जिलों में ब्लॉकों द्वारा जमीनी सत्य सत्यापन पूरा कर लिया।

    इसमें कहा गया कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर और प्रमुख द्वारा किए गए प्रस्ताव के अनुसार राज्य के भीतर 17 जिलों को बाढ़ क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया।

    यूपी राज्य ने आगे कहा कि सिंचाई और जल पुनर्संसाधन विभाग ने 21.12.2024 को यमुना नदी के बाढ़ मैदान क्षेत्र की पहचान के संबंध में अपेक्षित भी अधिसूचना जारी की।

    केस टाइटल: डॉ. शरद गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य। (मूल आवेदन संख्या 316/2022)

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