संसद में मेरी उपस्थिति विधायिका के सामने न्यायपालिका के विचार रखने का एक अवसर होगा : जस्टिस गोगोई

LiveLaw News Network

17 March 2020 8:39 PM IST

  • संसद में मेरी उपस्थिति विधायिका के सामने न्यायपालिका के विचार रखने का एक अवसर होगा : जस्टिस गोगोई

    पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने असमिया न्यूज़ एजेंसी पार्टिडिन से बात करते हुए कहा कि मैंने इस दृढ़ विश्वास के कारण राज्यसभा में नामांकन की पेशकश को स्वीकार किया है कि विधायिका और न्यायपालिका को इस समय एक साथ काम करना चाहिए।

    भारत के राष्ट्रपति ने सोमवार को पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में नामित किया।

    न्यायमूर्ति गोगोई की तब से कई लोगों ने आलोचना की है, जिसमें कहा गया कि नामांकन पर उनकी स्वीकृति संविधान में निहित शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को तोड़ देती है।

    अपने बचाव में बोलते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा,

    "संसद में मेरी उपस्थिति विधायिका के समक्ष न्यायपालिका के विचारों को प्रस्तुत करने का एक अवसर होगी। ....भगवान मुझे संसद में एक स्वतंत्र आवाज़ देने की शक्ति दें।"

    3 अक्टूबर 2018 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए न्यायमूर्ति गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो गए थे। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने अयोध्या, राफेल, असम एनआरसी अपडेशन जैसे मामलों में विभिन्न निर्णय दिए थे।

    यह पहली बार नहीं है कि एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश राज्यसभा का सदस्य बन रहा है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंगनाथ मिश्र 1998 में कांग्रेस के टिकट पर उच्च सदन के लिए चुने गए थे। हालांकि, यह निश्चित रूप से पहली बार है कि कोई पूर्व न्यायाधीश नॉमिनेशन के माध्यम से राज्यसभा की सीट हासिल करेगा।

    शिक्षाविद् मृणाल मिरी के बाद जस्टिस गोगोई अब असम से राज्यसभा के लिए नामांकित होने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा राज्यसभा सीट स्वीकार करने पर कहा,

    "12 जनवरी 2018 को हम तीनों के साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई द्वारा दिया गया बयान "हमने राष्ट्र के लिए अपने ऋण का निर्वहन किया है।" मुझे आश्चर्य है कि न्यायमूर्ति रंजन गोगोई जिन्होंने एक बार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए दृढ़ विश्वास और साहस का परिचय दिया था, उन्होंने कैसे न्यायपालिका, की स्वतंत्रता पर निष्पक्ष सिद्धांतों और न्यायपालिका की निष्पक्षता से समझौता किया है।"

    जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर ने जनवरी 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कुछ विशिष्ट बेंचों को महत्वपूर्ण मामलों के मनमाने आवंटन का आरोप लगाया था।

    Next Story