शरजील इमाम के समर्थन में नारेबाजी करने वाली छात्रा की अग्रिम जमानत याचिका मुंबई की अदालत ने खारिज की

LiveLaw News Network

6 Feb 2020 2:37 PM IST

  • शरजील इमाम के समर्थन में नारेबाजी करने वाली छात्रा की अग्रिम जमानत याचिका मुंबई की अदालत ने खारिज की

     मुम्बई की एक सत्र अदालत ने बुधवार को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में एक फरवरी को एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए आयोजित एक रैली के दौरान जेएनयू छात्र शरजील इमाम के समर्थन में कथित रूप से नारे लगाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह), 153 बी (देश की अखंडता को प्रभावित करने की कोशिश) और धारा 34 के साथ धारा 505 के तहत आरोपी 22 वर्षीय छात्रा उर्वशी चूड़ावाला की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत राजवैद्य ने उर्वशी को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करने से मना कर दिया और कहा -

    "उनका बयान प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह के आरोपों के तत्वों को आकर्षित करता है, जो आजीवन कारावास को आकर्षित करता है। मामला गंभीर प्रकृति का है, मामले की जड़ों तक पहुंचने के लिए हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।"

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, उर्वशी ने चिल्लाया - "शरजील तेरे सपने को हम मंज़िल तक पहुंचाएंगे।"

    उर्वशी उस मामले में मुख्य आरोपी है जिसमें उक्त रैली में मौजूद 50 अन्य लोगों ने कथित रूप से इसी तरह के नारे लगाए थे।

    जेएनयू से पीएचडी करने वाले छात्र शरजील इमाम, जिसने आईआईटी मुंबई से मास्टर्स किया है, को दिल्ली पुलिस ने सीएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके भड़काऊ भाषणों के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ पांच अलग-अलग राज्यों ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है।

    प्रस्तुतियां

    उर्वशी के वकील विजय हिरेमठ ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल के नारे को संदर्भ से बाहर देखा गया था।उन्होंने कहा-

    "केवल एक पंक्ति थी, जिसे केवल एक बार कहा गया था, क्या इससे कोई नुकसान हुआ है? इसका उद्देश्य लोक सेवकों या सरकारी मशीनरी पर निशाना नहीं था, यह बिल्कुल भी राजद्रोह नहीं है। यह सरकार, या किसी समुदाय के प्रति घृणा पैदा नहीं करता है।

    हम उसके बयान से सहमत नहीं हो सकते हैं लेकिन यह देशद्रोह के समान नहीं है? "

    इसके अलावा, उर्वशी, जो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की छात्रा हैं, ने की ओर से कहा गया कि उसका करियर संभवतः "दो सेकंड के वीडियो" के कारण नष्ट हो सकता है।

    हिरेमठ ने तर्क दिया, "मुझे एक उदाहरण बनाया जा रहा है क्योंकि विभिन्न विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और वे दिखाना चाहते हैं कि वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं। राज्य इतना नाजुक नहीं है कि दो सेकंड का वीडियो राजद्रोह बन जाए।"

    वहीं मुख्य लोक अभियोजक जयसिंह देसाई ने आरोप लगाया कि चूड़ावाला ने रैली से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर इमाम के समर्थन में एक पोस्ट साझा की थी, जिसे बाद में हटा दिया गया था। फिर इमाम के भाषण का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा-

    "आप एक ऐसे व्यक्ति का समर्थन कर रहे हैं जो आधिकारिक तौर पर राज्य का दुश्मन है।"

    उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जब पुलिस ने उर्वशी से वर्तमान मामले के संबंध में संपर्क किया तो उसने सहयोग नहीं किया और पेश होने में विफल रही।चूंकि पुलिस उसे गिरफ्तार किए बिना आगे की जांच नहीं कर सकती इसलिए इसकी गिरफ्तारी जरूरी है, देसाई ने विरोध किया।

    दलीलों के बाद, अदालत ने उर्वशी को यह कहते हुए कोई राहत देने से इनकार कर दिया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रकृति में गंभीर हैं और मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए उससे हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

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