मोटर दुर्घटना दावा - परस्पर विरोधी तथ्यों के मामले में ट्रिब्यूनल के समक्ष दर्ज साक्ष्य को एफआईआर की सामग्री पर अधिक महत्व दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

2 Oct 2021 6:17 AM GMT

  • मोटर दुर्घटना दावा - परस्पर विरोधी तथ्यों के मामले में ट्रिब्यूनल के समक्ष दर्ज साक्ष्य को एफआईआर की सामग्री पर अधिक महत्व दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना के दावे में लापरवाही के मुद्दे का फैसला करते हुए कहा है कि यदि ट्रिब्यूनल के समक्ष कोई सबूत एफआईआर में दी गई सामग्री के विपरीत है तो ट्रिब्यूनल के समक्ष दर्ज किए गए साक्ष्य को एफआईआर की सामग्री पर अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड बनाम चामुंडेश्वरी और अन्य के मामले में की।

    जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दायर अपील पर अपना फैसला सुना रही थी। मामले में मृतक की पत्नी और बेटे की याचिका को आंशिक रूप से अनुमति दी गई और मुआवजे को बढ़ाकर 1,85,08,832 रुपये करने का निर्देश दिया गया था।

    बीमा कंपनी ने दलील दी थी क‌ि एफआईआर में उल्लेख किया गया था कि दुर्घटना मृतक की लापरवाही के कारण हुई थी जबकि इस तरह के महत्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य को हाईकोर्ट द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था कोर्ट ने इस दलील की जवाब में उक्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में दुर्घटना के चश्मदीद गवाहों से पूछताछ की गई और उन्होंने ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने बयान दिए और रिकॉर्ड पर ऐसे सबूतों को देखते हुए एफआईआर की सामग्री को महत्व देने का कोई कारण नहीं है ।

    संक्षिप्त तथ्य

    वर्तमान मामले में प्रतिवादी मृतक की पत्नी और नाबालिग बेटा हैं। मृतक की 14.10.2013 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। प्रतिवादियों के अनुसार दुर्घटना तब हुई जब अचानक आयशर वैन का ड्राइवर बिना कोई सिग्नल या इंडिकेटर दिए दाहिनी ओर मुड़ गया। मारुति कार के ड्राइवर की मृत्यु हो गई और वे घायल हो गए।

    मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष दायर दावा याचिका में, प्रतिवादियों ने आयशर वैन के चालक की ओर से लापरवाही की दलील देते हुए 3 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया।

    क्लेम ट्रिब्यूनल ने 11.12.2017 को दिए आदेश में आंशिक रूप से दावे की अनुमति दी और 10,40,500 रुपये का मुआवजा दिया। ट्र‌िब्यूनल ने पाया कि दोनों वाहनों के ड्राइवरों की ओर से 75% और 25% के अनुपात में अंशदायी लापरवाही की गई थी।

    अपील पर हाईकोर्ट ने दर्ज किया कि दुर्घटना केवल आयशर वैन के चालक की लापरवाही के कारण हुई और कुल 1,85,08,832 रुपये का मुआवजा दिया गया। मामले में अपीलकर्ता ने दलील दी कि ट्रिब्यूनल ने मृतक और आयशर वैन के चालक की ओर से लापरवाही को सही ढंग से विभाजित किया था, लेकिन रिकॉर्ड पर साक्ष्य के विपरीत हाईकोर्ट ने इसे उलट दिया था।

    यह तर्क दिया गया था कि एफआईआर में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि दुर्घटना केवल मृतक की लापरवाही के कारण हुई थी। इसके बावजूद इस तरह के महत्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य को हाईकोर्ट ने अनदेखा किया। सुप्रीम कोर्ट ने बीमाकर्ता की अपील को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ट्रिब्यूनल के समक्ष साक्ष्य को एफआईआर में दर्ज सामग्री पर वेटेज दिया जाएगा।

    केस शीर्षक: राष्ट्रीय बीमा कंपनी बनाम चामुंडेश्वरी और अन्य।

    सिटेशन: एलएल 2021 एससी 529

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