सऊदी अरब में 18 से अधिक गर्भवती नर्स और डॉक्टर फंंसे, उन्हें देश वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
LiveLaw News Network
29 April 2020 10:30 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके सऊदी अरब में फंसी ऐसी भरतीय महिलाओं को देश वापस लाने का निर्देश देने की मांग की गई है जो अपने गर्भाधान के अंतिम महीने में हैं।
याचिका में कहा गया है कि
"यह बताना ज़रूरी है कि 18 से अधिक भारतीय नर्स और डॉक्टर हैं जो गर्भवती हैं और जिनको स्वदेश वापस आने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और स्वदेश आने का इंतज़ार कर रहे है।"
याचिका में कहा गया है कि ये डॉक्टर और नर्स सऊदी अरब के विभिन्न प्रांतों में काम कर रहे हैं और वे बहुत ही मुश्किल स्थिति में जी रहे हैं जिसकी वजह से उनको और उनके गर्भ को ख़तरा पैदा हो गया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि इन सभी की मार्च और अप्रैल में देश वापस आने की योजना थी पर कोरोना वायरस की वजह से फैली महामारी के कारण उड़ानें रद्द हो गईं और वे वहीं अटक गए।
याचिका में कहा गया है कि एक ऐसे समय में जब वे बहुत ही नाज़ुक समय से गुजर रहे हैं, इस देश में वे अकेले हैं और उनका खयाल रखने वाला कोई नहीं है और उचित चिकित्सा सुविधा भी उनको मिलना मुश्किल है।
याचिका में कहा गया है कि
"सऊदी अरब के अधिकांश सरकारी अस्पतालों को COVID-19 सेंटर में बदल दिया गया है और वे सिर्फ इस संक्रमण से ग्रस्त लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कर रहे हैं और याचिकाकर्ताओं की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा सकें।"
अदालत से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए याचिकाकर्ताओं ने पूर्व के एक मामले का उदाहरण दिया है जब पांच साल की एक लड़की को कुवैत से एयर लिफ़्ट कर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल सर्जरी के लिए लाया गया था और एक अन्य व्यक्ति को यूके से एयर लिफ़्ट कर केरल के थलसेरी लाया गया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सरकार न केवल अजन्मे शिशुओं को बचाने के लिए कर्तव्यों से बंधा है बल्कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समान संरक्षण देने के लिए भी बाध्य है।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया है कि वह रियाद दूतावास को आदेश दें कि स्वदेश वापस आने तक याचिकाकर्ताओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करे क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो यह उनके और उनके गर्भ के लिए नुक़सानदायक होगा।
यह याचिका एडवोकेट जोस अब्राहम ने दायर किया है।