'मोरबी पुल ढहना सरकारी अधिकारियों की घोर लापरवाही को दर्शाता है': सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर

Brij Nandan

1 Nov 2022 6:39 AM GMT

  • मोरबी पुल हादसा

    मोरबी पुल हादसा 

    गुजरात में हाल ही में मोरबी पुल के ढहने (Morbi Bridge Collapse) के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें न्यायिक जांच की मांग की गई है। इस हादसे में 137 लोगों की जान चली गई।

    सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में न्यायिक जांच आयोग गठित करके तुंरत हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए इस मामले का आज सीजेआई के समक्ष उल्लेख किया गया।

    याचिकाकर्ता-इन-पर्सन एडवोकेट विशाल तिवारी ने कहा,

    "कई अन्य राज्यों को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संरचनाओं के मूल्यांकन की आवश्यकता है।"

    सीजेआई यूयू ललित ने पूछा,

    "तुम बहुत जल्दी हो। तुम्हारी प्रार्थना क्या है?"

    रविवार की शाम 30 अक्टूबर को पुल गिर गया था।

    तिवारी ने कहा,

    "न्यायिक जांच आयोग गठित की जाए।"

    CJI ने निर्देश दिया कि मामले को 14 नवंबर को सूचीबद्ध किया जाए।

    तिवारी ने कहा कि माच्छू नदी पर लटका हुआ 141 साल पुराना पुल टूटना लापरवाही और प्रशासन की पूरी तरह से नाकामी को दर्शाता है। उनका दावा है कि उचित देखभाल और अग्रिम मरम्मत से दुर्घटना से बचा जा सकता था।

    तिवारी का दावा है कि मरम्मत और रखरखाव के बाद पिछले हफ्ते पुल को फिर से खोल दिया गया। हालांकि पुल टूट गया और लोग नदी में गिर गए और लोगों की मौत हो गई।

    याचिका में कहा गया है,

    "रखरखाव और मरम्मत का काम एक निजी ऑपरेटर को सौंपा गया था जो कि ओरेवा समूह है, जो ऐसे ब्रिटिश टाइम ब्रिज के जोखिम और उपयुक्तता की निगरानी और प्रशासन करने में राज्य सरकार की पूर्ण विफलता के साथ रखरखाव और मरम्मत के कामकाज में पूरी तरह से विफल रहा है। राज्य सरकार भी अपने समय पर रखरखाव के साथ-साथ पुल की कार्यक्षमता की देखरेख के अपने कर्तव्य में विफल रही है।"

    यह सभी राज्य सरकारों को पर्यावरणीय व्यवहार्यता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुराने और जोखिम भरे स्मारकों, पुलों के मूल्यांकन जोखिम का सर्वेक्षण और संचालन करने के लिए समिति बनाने के लिए निर्देश देने की मांग करता है।

    तिवारी हर राज्य में निर्माण घटना जांच विभाग के गठन की भी मांग करते हैं ताकि जब भी ऐसी घटनाएं हों तो तुरंत जांच की जा सके और ऐसे विभाग का भी कर्तव्य होगा कि वह किसी भी सार्वजनिक निर्माण की गुणवत्ता और सुरक्षा के बारे में पूछताछ करे।


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