मोहम्मद जुबैर ने हिंदू संतों को 'हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले' कहने को लेकर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया; कल सुनवाई होगी

Brij Nandan

7 July 2022 11:29 AM IST

  • मोहम्मद जुबैर ने हिंदू संतों को हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले  कहने को लेकर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया; कल सुनवाई होगी

    फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज (Alt News) के सह-संस्थापक, मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) ने हिंदू संतों को 'हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले' कहने को लेकर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया।

    जुबैर ने एक ट्वीट किया था ,जिसमें उन्होंने कथित तौर पर 3 हिंदू संतों- यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि को 'हेट मोंगर्स यानी नफरत फैलाने वाले' कहा था। इसके खिलाफ यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसी के खिलाफ जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने आज इस मामले का उल्लेख जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए किया।

    गोंजाल्विस ने कहा,

    "यह ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर से संबंधित मामला है। उनका काम समाचारों की जांच करना है, और वह नफरत फैलाने वाले भाषणों की पहचान करने की जांच कर रहे थे। प्राथमिकी पर एक नज़र से पता चलता है कि कोई अपराध नहीं है। हम इलाहाबाद गए थे। हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। आपातकाल पर जमानत मांगी गई है। इंटरनेट पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। यदि संभव हो तो आज 2 बजे सूचीबद्ध करें। मैं वास्तव में चिंतित हूं।"

    पीठ ने कहा कि मामले को कल सूचीबद्ध किया जा सकता है, जो भारत के चीफ जस्टिस द्वारा असाइनमेंट के अधीन है।

    जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने 2018 में उनके द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के एक मामले में गिरफ्तार किया था। इस सप्ताह की शुरुआत में, उन्हें यूपी पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के संबंध में उत्तर प्रदेश के सीतापुर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था।

    10 जून, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने यूपी पुलिस की प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द करने से इनकार कर दिया था कि जब जांच प्रारंभिक चरण में है तो हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी।



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