प्रवासी संकट : केंद्र और राज्यों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, आगे के निर्देश 9 जून को दिए जाएंगे

LiveLaw News Network

5 Jun 2020 11:37 AM GMT

  • प्रवासी संकट : केंद्र और राज्यों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, आगे के निर्देश 9 जून को दिए जाएंगे

    Migrants Crisis : SC Reserves Order After Hearing Centre, States; To Pass Further Directions On June 9

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र, राज्य सरकार और अन्य पक्षों को सुनने के बाद प्रवासियों के संकट के मुद्दे पर दर्ज स्वत: संज्ञान मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रवासी, जो अब उनके मूल राज्यों में पहुंच चुके हैं, उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के निर्देश पारित किए जाएंगे।

    पीठ ने कहा कि आगे के निर्देश 9 जून, मंगलवार को पारित किये जाएंगे।

    पीठ ने कहा कि

    "हम जो करने का प्रस्ताव रखते हैं, वह यह है कि हम आपको (केंद्र) और राज्यों को सभी प्रवासियों के परिवहन के लिए 15 दिन का समय देंगे।

    सभी राज्यों को यह बताना होगा कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे। प्रवासियों का पंजीकरण होना चाहिए।"

    सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि दिशानिर्देशों के अनुसार, भारतीय रेलवे ने 3 जून तक 4228 ट्रेनों का संचालन किया और परिवहन किए गए प्रवासियों की संख्या के बारे में आंकड़े साझा किए।

    एसजी ने यह भी सुझाव दिया कि ट्रेन यात्रा के लिए तैयार की गई मौजूदा प्रणाली को जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि पहले से ट्रेनों की घोषणा करने से अव्यवस्था पैदा होगी।

    एसजी ने कहा,

    "ट्रेनों को पहले से घोषित करने पर आपत्ति नहीं हो सकती है, लेकिन अगर इसे सभी के लिए खुला कर दिया जाए तो स्टेशन पर भीड़ बढ़ जाएगी। ऐसी 2 ट्रेनें हैं, जिनके लिए पहले पंजीकरण नहीं हुआ था। अब तक राज्य द्वारा अपनाई गई प्रणाली ने प्रभावी ढंग से काम किया है, इसे यूं ही रहने दीजिए।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने प्रस्तुत किया कि यात्रा के लिए पंजीकरण के संबंध में जमीनी स्तर पर अभी भी समस्याएं हैं।

    उन्होंने कहा,

    "पंजीकरण प्रणाली काम नहीं कर रही है, जो एक बड़ी समस्या है। आधी संख्या में भी प्रवासी कामगार वापस जाने के लिए पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं।"

    उन्होंने आगे कहा कि दो अन्य हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर एक अवलोकन किया और इस प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि प्रवासियों को किसी भी अन्य यात्री की तरह यात्रा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    इंदिरा जयसिंह ने कहा कि

    "समस्या यह है कि इन प्रवासियों के साथ किसी भी अन्य यात्रियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा रहा है जो ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं। उन्हें मैन्युअल रूप से टिकट प्राप्त करने की अनुमति दें।"

    उन्होंने कहा कि

    "ट्रेनों को एक सप्ताह पहले घोषित किया जाना चाहिए, ताकि सभी को पता चल जाए कि ट्रेन कब रवाना होगी, किस गंतव्य से कहां और किस समय तक जाएगी।"

    उन्होंने लॉकडाउन में घर वापस जाने पर एफआईआर का सामना करने वाले प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला।

    अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जयदीप गुप्ता (टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के लिए), एएसजी संजय जैन, पीएस नरसिम्हा (यूपी सरकार के लिए), रंजीत कुमार (बिहार), जयंत मुथु राज (तमिलनाडु), जी प्रकाश (केरल)

    सिबू संकर मिश्रा (ओडिशा), प्रभुलिंग नवदगी (कर्नाटक), अमन लेखी (मध्य प्रदेश), मनीष सिंघवी (राजस्थान), प्रभु पाटिल (NHRC), मनिंदर सिंह (गुजरात), केवी विश्वनाथन (NLSIU पूर्व छात्र) आदि को भी सुना।

    29 मई को, पीठ ने प्रवासियों के लिए मुफ्त यात्रा और प्रवासियों के लिए भोजन और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश पारित किए थे।

    (SC से सान्या तलवार द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर)

    Next Story