मेधा पाटकर ने Delhi LG वीके सक्सेना मानहानि मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर याचिका वापस ली
Amir Ahmad
25 April 2025 7:47 AM

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से विनय कुमार सक्सेना द्वारा 2001 में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले ली।
वीके सक्सेना वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) हैं।
जस्टिस शालिंदर कौर ने पाटकर के वकील की प्रार्थना के अनुसार नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका को वापस ले लिया।
पाटकर ने मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील खारिज करने वाले 02 अप्रैल को पारित ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
बाद में पाटकर को ट्रायल कोर्ट ने एक साल की परिवीक्षा पर रिहा कर दिया। उन्हें सक्सेना को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए भी कहा गया।
दिल्ली पुलिस ने पाटकर को शुक्रवार सुबह गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि गुरुवार को ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। इस वारंट में कहा गया था कि वह कार्यवाही से अनुपस्थित थीं और जानबूझकर सजा के आदेश का पालन करने में विफल रहीं।
पाटकर को भारतीय दंड संहिता 1860 (IPC) की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।
सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
वह उस समय अहमदाबाद स्थित NGO नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।
सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 25 नवंबर, 2000 को देशभक्त का असली चेहरा टाइटल से एक प्रेस नोट में उन्हें बदनाम करने का मामला दर्ज किया था।
प्रेस नोट में पाटकर ने कहा,
"हवाला लेन-देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए एनबीए की तारीफ की और 40,000 रुपये का चेक दिया लोक समिति ने भोलेपन से तुरंत रसीद और पत्र भेजा, जो ईमानदारी और अच्छे रिकॉर्ड रखने को दर्शाता है। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नहीं है।"
पाटकर ने कथित तौर पर कहा कि 'सक्सेना कायर हैं देशभक्त नहीं'। उन्हें दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि पाटकर की हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य सक्सेना की अच्छी छवि को खराब करना था और उनकी प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुंचा।
उन्होंने पाया कि पाटकर के बयान जिसमें सक्सेना को कायर कहना और देशभक्त नहीं कहना और हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाना न केवल अपने आप में अपमानजनक थे बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े गए थे।
केस टाइटल: मेधा पाटकर बनाम वीके सक्सेना