एमसीडी मेयर चुनाव: मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति के खिलाफ आप नेता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Brij Nandan

8 Feb 2023 7:22 AM GMT

  • एमसीडी मेयर चुनाव: मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति के खिलाफ आप नेता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार डॉ. शैली ओबेरॉय और आप की याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी के कार्यालयों को नोटिस जारी किया।

    ये मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

    मेयर चुनाव को लेकर डॉक्टर शैली ओबेरॉय ने दूसरी बार याचिका दायर की है।

    इससे पहले, उन्होंने महापौर के चुनाव समय पर कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और बाद में इस आधार पर याचिका वापस ले ली थी कि चुनाव 6 फरवरी 2023 को होने जा रहे हैं।

    6 फरवरी, 2023 को मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति के खिलाफ हंगामा हुआ। आप नहीं चाहती है कि एल्डरमैन वोट दें।

    एमसीडी के पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने भी कहा था कि मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव एक साथ होंगे।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ एएम सिंघवी ने आज निम्नलिखित दलीलें रखीं,

    1. चुनाव 4 दिसंबर 2022 को होने थे, लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ है।

    2. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243R में कहा गया है कि मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस प्रकार मनोनीत सदस्यों को पदों के चुनाव में मतदान की अनुमति दिये जाने का निर्णय असंवैधानिक है।

    3. डीएमसी अधिनियम की धारा 76 में कहा गया है कि महापौर और उप महापौर को सभी बैठकों की अध्यक्षता करनी होगी। इस प्रकार, तीन पदों (महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों) के लिए एक साथ चुनाव कराना DMC अधिनियम के विपरीत है।

    CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश में कहा,

    " सोमवार यानी 13 फरवरी 2023 तक जवाब दाखिल करना है।"

    केस टाइटल: शैली ओबेरॉय और अन्य बनाम दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यालय और अन्य| WP(C) संख्या 152/2023 जनहित याचिका

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