MBBS: क्या नामांकन फॉर्म जमा किए बिना फीस का आंशिक भुगतान मेडिकल कॉलेज में एडमिशन की पुष्टि और कॉलेज से जुड़ने के समान है? सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
Brij Nandan
14 July 2022 9:29 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक रिट याचिका दायर की गई है जिसमें कानूनन सवाल उठाया गया है कि क्या काउंसलिंग वेबसाइट से डाउनलोड किया गया प्रोविजनल एडमिशन लेटर मेडिकल कॉलेज (Medical College) में एडमिशन की पुष्टि है या नामांकन फॉर्म जमा किए बिना पाठ्यक्रम के लिए फीस का आंशिक भुगतान, मूल दस्तावेज और विभिन्न अन्य अंडरटेकिंग और शपथ पत्र की शपथ लेना मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के समान है।
याचिका एक उम्मीदवार द्वारा दायर की गई है, जिसने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी द्वारा आयोजित एनईईटी यूजी काउंसलिंग में आवेदन किया था और उसे डीवाई पाटिल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, नवी मुंबई में डीम्ड / पेड कोटा सीट आवंटित की गई थी। हालांकि याचिकाकर्ता ने न तो नामांकन फॉर्म जमा किया था और न ही अनिवार्य अंडरटेकिंग और हलफनामे दाखिल किया। केवल आंशिक शुल्क का भुगतान किया था, उसे एक सम्मिलित उम्मीदवार के रूप में दिखाया गया था कॉलेज को यह बताने के बावजूद कि वह वित्तीय खर्च वहन नहीं कर पाएगी।
यह आरोप लगाते हुए कि कॉलेज ने उसके मूल दस्तावेजों को जारी करने से इनकार कर दिया, उसने अपने द्वारा जमा की गई फीस को वापस करने और अपने मूल दस्तावेजों को वापस करने के निर्देश जारी करने के लिए शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह मानकर भी कि उसने 25 लाख रुपये की एक बड़ी राशि जमा कर दी है और यदि उसे प्रोविजनल एडमिशन लेटर के आधार पर भर्ती कराया जाता है, तो अधिकतम 2 लाख रुपये की जमानत राशि ही जब्त की जा सकती है।
एडवोकेट चारु माथुर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है,
"इस प्रकार, यह एक शैक्षणिक संस्थान द्वारा अन्यायपूर्ण संवर्धन का एक स्पष्ट मामला है।"
मलिक ने अपनी याचिका में आगे कहा,
"सबसे बुरी बात यह है कि उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा धमकी दी जा रही है / ब्लैकमेल किया जा रहा है कि या तो शेष फीस जमा करें या वह आने वाले वर्षों में बैठने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि पूरे दस्तावेज उनके पास हैं। कह रहे हैं कि अगर फीस नहीं जमा करोगे तो एमबीबीएस भूल जाना।"
केस टाइटल: सुहाना मलिक बनाम एमसीसी| डब्ल्यूपी (सिविल) 419/2022