सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज की पेंशन संबंधित बिल लोकसभा में पास

LiveLaw News Network

8 Dec 2021 11:13 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज की पेंशन संबंधित बिल लोकसभा में पास

    लोकसभा ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया।

    इसमें निम्न संशोधन करने का प्रावधान है : (i) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954, और (ii) सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1958। ये अधिनियम हाईकोर्ट और भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा की शर्तों को विनियमित करते हैं।

    अधिनियमों के तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य पेंशन या पारिवारिक पेंशन के हकदार हैं। जब वे एक निर्दिष्ट पैमाने के अनुसार एक निश्चित आयु प्राप्त करते हैं तो वे पेंशन या पारिवारिक पेंशन की अतिरिक्त मात्रा के भी हकदार होंगे। पैमाने में पांच आयु वर्ग (80, 85, 90, 95 वर्ष और 100 वर्ष की न्यूनतम आयु) शामिल हैं और अतिरिक्त मात्रा उम्र के साथ (पेंशन या पारिवारिक पेंशन के 20% से 100% तक) बढ़ जाती है।

    बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक व्यक्ति उस महीने के पहले दिन से अतिरिक्त पेंशन या पारिवारिक पेंशन का हकदार होगा, जिसमें वे संबंधित आयु वर्ग के तहत न्यूनतम आयु पूरी करते हैं।

    विधेयक पर मंगलवार को बहस करते हुए बीजू जनता दल के सांसद पिनाकी मिश्रा ने इस कानून को पारित करने के लिए संसद के औचित्य का मुद्दा उठाया था और कहा कि इस पर उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में एक अलग दृष्टिकोण था। उन्होंने इंगित किया कि गुवाहाटी और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उक्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियमों में "से" का मतलब उस दिन होगा, जब कोई उम्र में प्रवेश करेगा।

    उन्होंने आगे बताया कि इन फैसलों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने 2019 में याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने बताया कि सरकार, वर्तमान "वैध अधिनियम" लाकर गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की कोशिश कर रही है, जो अंतिम रूप से प्राप्त हुआ।

    इसके जवाब में आज केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यदि अदालतें किसी स्थिति की गलत व्याख्या करती हैं तो विधायिका की मंशा को स्पष्ट करना विधायिका का कर्तव्य है।

    उन्होंने कहा,

    "हम उनके वेतन और पेंशन के मामले में न्यायाधीशों के अधिकारों को कम नहीं कर रहे हैं। हम केवल विधायिका के इरादे को स्पष्ट कर रहे हैं। सदन की विधायी श्रेष्ठता को चुनौती नहीं दी जा सकती है। यदि गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर सभी सिविल सेवक पेंशन का दावा करना शुरू करते हैं तो हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या होगी।"

    विधेयक पर बहस करते हुए संसद सदस्यों ने न्यायिक लंबितता, रिक्ति, न्यायिक स्थानान्तरण और नियुक्ति के संबद्ध मुद्दों पर भी विचार किया। लंबी चर्चा के बाद आज लोकसभा ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 पारित कर दिया।

    बिल डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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