लोन पर मोहलत : एनपीए घोषित करने के लिए 23 मार्च के फैसले से 90 दिनों की गणना हो : सुप्रीम कोर्ट में याचिका
LiveLaw News Network
2 July 2021 11:52 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 23 मार्च 2021 के फैसले के स्पष्टीकरण और संशोधन की मांग वाली याचिका को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया, जिसमें उसने ऋण खातों को गैर-निष्पादित संपत्ति ( एनपीए) के रूप में घोषित करने पर रोक हटा दी थी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्पष्टीकरण मांगा गया था कि किसी भी खाते को एनपीए घोषित करने की अवधि को उपरोक्त निर्णय (23 मार्च) की तारीख से गिना जाएगा।
पीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा स्थगन की मांग वाले एक पत्र के आधार पर सुनवाई स्थगित कर दी।
दरअसल पिछले साल 3 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था कि जो खाते 31 अगस्त तक एनपीए नहीं थे, उन्हें एनपीए घोषित नहीं किया जाना चाहिए। यह आदेश महामारी के कारण ऋण मोहलत के विस्तार, चक्रवृद्धि ब्याज की छूट आदि की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया था।
शीर्ष अदालत ने 23 मार्च 2021 के फैसले के माध्यम से याचिकाओं का निपटारा करते हुए खातों को एनपीए घोषित करने पर प्रतिबंध हटा दिया।
न्यायालय ने यह भी देखा था कि,
"हमारी राय है कि किसी भी उधारकर्ता से मोहलत के दौरान की अवधि के लिए ब्याज / चक्रवृद्धि-ब्याज / दंडात्मक ब्याज पर ब्याज का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और मोहलत के दौरान जो भी राशि ब्याज/चक्रवृद्धि ब्याज/दंडात्मक ब्याज पर ब्याज के माध्यम से वसूल की जाती है, उसे वापस किया जाएगा।"
आवेदक ने कहा है कि कर्जदारों के खिलाफ बैंकों द्वारा एनपीए न लगाने के आदेश को 23 मार्च 2021 के फैसले के माध्यम से हटा दिया गया है, तो बैंक कानून के अनुसार डिफ़ॉल्ट होने पर एक मानक खाते पर एनपीए लगा सकते हैं।
इसलिए, आवेदक के अनुसार, यह स्पष्ट करने और निर्देशित करने की आवश्यकता है कि मानक खाते को गैर-निष्पादित संपत्ति के रूप में घोषित करने की गणना के लिए 90 दिनों की अवधि 23 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिन से शुरू होनी चाहिए।